विष्णु प्रिय, गुरूवार व्रत के लिए अनिवार्य हैं ये नियम..
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुरुवार भगवान विष्णु का दिन माना गया है। इस दिन व्रत धारण करने वाले जातक भगवान विष्णु की विधि विधि से पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। बृहस्पतिवार का यह दिन बड़ा ही फलदायी माना गया है। उन्हें फल फूल एवं पीले वस्त्रए प्रसाद अर्पित करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बृहस्पतिदेव की भी पूजा
अनेक लोग इस दिन केले के पेड़ और बृहस्पतिदेव की भी पूजा करते हैं। अनेक स्थानों पर इस दिन के अलग अलग नियम हैं किंतु ऐसा माना जाता है कि यदि इस व्रत को विधि पूर्वक धारण किया जाए तो मनुष्य के जीवन के अनेक कष्टों का निदान होता है। भगवान विष्णु उसे अपने कार्यों के निर्वाह करने का उचित मार्ग प्रदर्शित करते हैं। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। विवाह नक्षत्र निर्धारित करने में भी बृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस वजह से भी इस दिन बृहस्पतिदेव की पूजा अनेक लोग करते हैं।
पुराणों में उल्लेख
अग्नि पुराण में उल्लेख मिलता है कि लगातार 7 गुरूवार तक यह व्रत धारण करना चाहिए। इस दिन पीला भोजन, पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। क्योंकि पीला रंग विष्णुप्रिय है इसलिए उन्हें पीतांबर भी कहा जाता है। पूजा के बाद कथा सुनने का विधान है।
रखें इन बातों का ध्यान
-इस दिन नमक ग्रहण नही करना चाहिए।
-बाल नही धोने चाहिए।
-पोछा नही लगाना चाहिए।
-प्रसाद के रूप में केले का प्रयोग कर सकते हैं।
-इनका ही दान भी किया जा सकता है।
-पूजा के पश्चात विष्णु भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
-व्रतधारी को साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
-पुरुष को बाल और दाढ़ी आदि नहीं बनवाना चाहिए।
-घर के किसी भी व्यक्ति को बाल नहीं कटवाने चाहिए।
गुरुवार का यह व्रत करने से गुरु ग्रह दोष से भी मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसी भी मान्यता है कि यह व्रत सारे सुखों का प्रदाता है एवं जो भी कन्या इस व्रत पूर्ण विधि एवं श्रद्धाभाव के साथ करती है उसे योग्य वर की प्राप्ति शीघ्र ही होती है।
Created On :   14 Feb 2018 4:18 AM GMT