Bigg Boss Marathi : शिव ठाकरे बने बिग बॉस मराठी के विनर

Bigg boss marathi shiv thackeray became the winner
Bigg Boss Marathi : शिव ठाकरे बने बिग बॉस मराठी के विनर
Bigg Boss Marathi : शिव ठाकरे बने बिग बॉस मराठी के विनर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बिग बॉस के घर के अंदर बंद होने के महीनों बाद  बिग बॉस मराठी सीजन-2 अपने अंत तक पहुंच गया है और जिस प्रतियोगी ने सभी बाधाओं को पार किया और बिग बॉस मराठी-2 का खिताब अपने नाम किया, वह है शिव ठाकरे। शिव ठाकरे अमरावती जाने के लिए नागपुर एयरपोर्ट पर जैसे पहुंचे, उन्होंने ‘राम-राम नागपुर’ कहकर शहरवासियों का आभार जताया।

उन्होंने कहा कि, मुझे सबसे ज्यादा वोट नागपुर और विदर्भ से मिले। बता दें कि,  शिव ठाकरे ने बड़े अंतर से यह शो जीता है। ठाकरे ने इस सफल को काफी दिलचस्प बताया। कड़े मुकाबले में शिव ने नेहा को हराते हुए ट्रॉफी अपने नाम की है। शिव ठाकरे को प्राइज मनी के तौर पर 17 लाख की पुरस्कार राशि मिली। सभी प्रतियोगियों के घर से बाहर होने के बाद शिव ठाकरे और नेहा शितोले के बीच मुकाबला था, लेकिन अंत में शिव शो के विजेता बने।  इस अवसर पर उनके माता-पिता आशा मनोहर ठाकरे,बहन मनीषा सूरज हेरे, बीजेपी कल्चरर सेक्रेटरी कुणाल गडेकर, सूरज हेरे ने शिव का स्वागत किया। ​

शिव ने नागपुर से की इंजीनियरिंग की पढ़ाई

शो से पहले  बहुत से लोग शिव ठाकरे को नहीं जानते थे, लेकिन अब बिग बॉस के कारण उनकी फैन फॉलोइंग कई गुना बढ़ गई है।  शिव ठाकरे  मराठी अभिनेता और कोरियॉग्रफर हैं।  शुरुआती पढ़ाई अमरावती में करने के बाद शिव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई नागपुर से पूरी की।  शिव ठाकरे ने अपने केरियर की शुरुआत टेलीविजन रियलिटी-शो एमटीवी रोडीज राइजिंग से की थी। इस शो में शिव बतौर कंटेस्टेंट शामिल हुए थे।

बुद्ध की मूर्ति में दर्शाया इतिहास, यूनिक चीजें कर रहीं आकर्षित

दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित मृगनयनी प्रदर्शनी आकर्षण का केन्द्र बना है। प्रदर्शनी में लगाए गए स्टॉल में यूनिक चीजों का  अच्छा-खासा कलेक्शन है। विशेष बात यह है कि, मेले में ज्यादातर कारीगर राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित हैं। प्रदर्शनी में सजी पीतल और पंचधातु की मूर्तियां सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। जितनी सुंदर यह मूर्तियां हैं, उतना ही कठिन परिश्रम इन्हें बनाने में लगता है। प्रदर्शनी में बुद्ध, कृष्ण, शिव, गणेश और अन्य देवी-देवताओं का मूर्तिंया ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। खास बात यह है कि, बुद्ध की मूर्ति में संपूर्ण इतिहास दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में 200 ग्राम से 68 किलो तक की प्रतिमाएं हैं। जिनकी कीमत 550 रुपए से लेकर 71 हजार रुपये तक है।

धूप-छांव से पता चलता है कि मूर्ति बनी या नहीं

मेला प्रबंधक एम.एल. शर्मा ने बताया कि, मूर्ति बनी है कि, नहीं यह तय होता है धूप-छांव से। जैसे-जैसे धूप बढ़ती जाती है उससे निर्धारित होता है कि, मूर्ति बनी है की नहीं।  इन मूर्तियों को टीकमगढ़ के सिंब सोनी गली में रहने वाले कारीगर रामस्वरूप सोनी और पन्ना सोनी बनाते हैं। सबसे पहले मिटट्ी का सांचा बनाया जाता है। इसके बाद इसमें वैक्स वायर की डिजाइनिंग की जाती है। इसे फिर से मिट्टी से ढंका जाता है और बीच-बीच में छेद कर दिए जाते हैं। इसके बाद इसमें पिघला हुआ धातु डालकर इसे पकाया जाता है। मूर्तियां बनी हैं कि नहीं, यह धूप-छांव से तय होता है। रामस्वरूप सोनी के बेटे राहुल सोनी ने बताया कि, मूर्ति के सूखने के बाद सांचे को तोड़ दिया जाता है। इसके बाद नक्काशी का काम धातु की कलम से किया जाता है। विरासत को सहेजने के लिए सरकार की ओर से 1990 और 2007 में राष्ट्रीय अवार्ड भी दिए जा चुके हैं। 

Created On :   3 Sep 2019 10:49 AM GMT

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