यूपी उपचुनावों में हार से बीजेपी ने लिया सबक, भंडारा-पालघर उपचुनाव को लेकर कसी कमर

BJP has become very cautious about the upcoming by-elections
यूपी उपचुनावों में हार से बीजेपी ने लिया सबक, भंडारा-पालघर उपचुनाव को लेकर कसी कमर
यूपी उपचुनावों में हार से बीजेपी ने लिया सबक, भंडारा-पालघर उपचुनाव को लेकर कसी कमर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर सीट पर शिकस्त खाने के बाद भाजपा आगामी उपचुनावों को लेकर विशेष सतर्क हो गई है। महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया और पालघर के साथ उत्तरप्रदेश की कैराना लोकसभा सीटें पार्टी की प्रतिष्ठा से जुड़ गई हैं। चूंकि ये तीनों सीटें भाजपा के कब्जे में थी, लिहाजा इनके नतीजे भाजपा के लिए काफी अहम होंगे। इन सीटों के नतीजे यदि भाजपा के प्रतिकूल रहे तो चुनावी वर्ष में जाने के पहले पार्टी न केवल मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर होगी बल्कि लोकसभा में उसके सांसदों की संख्या भी जादूई आंकड़े (272) से एक कम हो जाएगी। हालांकि इसके बावजूद सहयोगी दलों के साथ सदन में उसका बहुमत बना रहेगा। लेकिन भाजपा ऐसा होने देना नहीं चाहती। उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा की एकजुटता देखकर भाजपा कैराना सीट को लेकर तो आश्वस्त नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र की दोनों सीट को लेकर आशान्वित है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा नेतृत्व ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस और पार्टी की प्रदेश इकाई को उपचुनाव वाली सीटों के लिए विशेष हिदायतें दी हैं। भाजपा का मानना है कि मुख्यमंत्री का इलाका विदर्भ में होने के चलते भंडारा-गोंदिया सीट पर पार्टी को फायदा मिलेगा। साथ ही इस सीट को लेकर कांग्रेस और राकांपा के बीच संभावित तकरार से भी भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है। यह सीट मूल रूप से राकांपा संासद प्रफुल्ल पटेल की है तो पिछले चुनाव में पटेल को हराने वाले नाना पटोले अब भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में इस सीट को लेकर दोनों कांग्रेस के बीच घमासान की आशंका है।  

भाजपा नेतृत्व को है फड़नवीस पर भरोसा 

इसी प्रकार पालघर सीट पर भाजपा को सहानुभूति वोट मिलने की उम्मीद है। पालघर सीट भाजपा सांसद चिंतामण वंगा के निधन से खाली हुई है। सूत्र बताते हैं कि यहां से पार्टी वंगा परिवार के किसी सदस्य को मैंदान में उतारेगी ताकि सहानुभूति वोट लिया जा सके। वैसे भी इस सीट पर कांग्रेस और राकांपा से ज्यादा दबदबा बहुजन विकास आघाड़ी का है। अाघाड़ी के पूर्व सांसद बलिराम जाधव फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों के बदले जाने की कोई संभावना नहीं

अभी हाल ही में संपन्न कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी की कार्यसमिति और प्रदेशों में कांग्रेस नेतृत्व में परिवर्तन का अधिकार पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को दिया गया है।  इसलिये पार्टी अध्यक्ष अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार परिवर्तन करेंगे। गुजरात और गोवा के प्रदेश अध्यक्ष त्यागपत्र दे चुके हैं। उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राज बब्बर से त्यागपत्र देने को कहा गया है लेिकन जब तक नये अध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं हो जाती तब तक वह इस पद पर बने रहेंगे। राज्य में जितिन प्रसाद, राजेश मिश्रा और स्वर्गीय कमलापति त्रिपाठी के परिवार मेें से किसी को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार हरियाणा, ओडिसा, मुंबई और बिहार के प्रदेश अध्यक्षों की जल्दी ही छुट्टी  की जा सकती है। इन राज्यों के अलावा दक्षिण भारत के राज्यों – केरल, तेलंगाना आदि में भी प्रभावशाली नेताओं की प्रदेश अध्यक्षों के तौर पर नियुक्ति के लिये खोज शुरू हो चुकी है।
 

Created On :   21 March 2018 4:02 PM GMT

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