मध्य प्रदेश: गोपाल भार्गव चुने गए नेता प्रतिपक्ष, वरिष्ठता का मिला फायदा

मध्य प्रदेश: गोपाल भार्गव चुने गए नेता प्रतिपक्ष, वरिष्ठता का मिला फायदा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में लम्बी रायशुमारी के बाद आखिरकार बीजेपी ने अपने नेता प्रतिपक्ष का चुनाव कर लिया है। विधायक गोपाल भार्गव को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे आठ बार से लगातार विधायक रहे हैं। पिछले 15 सालों से भार्गव राज्य सरकार में मंत्री पद पर भी रहे हैं। गोपाल भार्गव की वरिष्ठता को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद गोपाल भार्गव को कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने घर पहुंचकर बधाई भी दी है।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष के चुनाव के लिए सोमवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई। केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे इस बैठक में मौजूद रहे। बैठक के दौरान गोपाल भार्गव के नाम का ऐलान किया गया। वैसे पार्टी सूत्रों के अनुसार दिल्ली में संसदीय बोर्ड की बैठक में मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के लिए चर्चा हुई थी, जिसमें गोपाल भार्गव के साथ-साथ दतिया विधायक नरोत्तम मिश्रा का नाम सामने आया था।

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान पहले ही यह ऐलान कर चुके थे कि वे नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं है। उनके इस ऐलान के बाद से ही नए नाम के लिए सुगबुगाहट जारी थी। दो दिन पहले ही पार्टी सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि एमपी में कोई ब्राह्मण नेता को ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी।

बता दें कि गोपाल भार्गव 1985 से लगातार विधायक रहे हैं। वे सागर जिले की रेहली विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार जाने के बाद बीजेपी की उमा भारती सरकार में वे पहली बार मंत्री बने थे। इसके बाद शिवराज सरकार में भी उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई।

जुलाई 1952 में जन्मे गोपाल भार्गव ने पॉलिटिकल साइंस में MA किया है। उन्होंने B.Sc और LLB भी किया है। पहली बार वे 1980 में गरहाकोटा नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद 1984 में उन्हें रेहली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला, जिसे उन्होंने बखूबी भूनाया। 1985 से लेकर 2019 तक वे लगातार इसी सीट से चुने जाते रहे हैं। साल 2003 में उमा भारती सरकार में भार्गव को पहली बार मंत्री पद मिला। इसके बाद 2008 और 2013 की शिवराज सरकार में उन्हें पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय, सामाजिक न्याय और सहकारी संस्था जैसे प्रमुख विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई।

 

Created On :   7 Jan 2019 12:05 PM GMT

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