अंधेरी दुनिया के बाशिदों ने रचा इतिहास, राष्ट्रीय स्पर्धा में जीते 19 मेडल

blind sports player won 19 medals
अंधेरी दुनिया के बाशिदों ने रचा इतिहास, राष्ट्रीय स्पर्धा में जीते 19 मेडल
अंधेरी दुनिया के बाशिदों ने रचा इतिहास, राष्ट्रीय स्पर्धा में जीते 19 मेडल

डिजिटल डेस्क, अमरावती। आंख का जीवन में क्या महत्व होता है, इसकी महत्ता नेत्रहीन ही समझ सकता है। आंख न होने के बाद भी कुछ नेत्रहीन अपना हौसला नहीं खोते और किसी भी परिस्थिति में अपना लक्ष्य हासिल कर दिखाते हैं। ऐसी कई मिसाल दी जा सकती है। अमरावती जिले में भी कुछ इसी तरह का उदाहरण सामने आया है। यहां के डॉ. नरेंद्र भिवापुरकर विद्यालय व आश्रित अंध कर्मशाला के विद्यार्थियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए हाल ही में जोधपुर(राजस्थान) में हुई राष्ट्रीय एथलेटिक्स नेत्रहीनों की स्पर्धा में 19 मेडल जीतकर यह जता दिया कि नेत्रहीन भी किसी से कम नहीं हैं। राष्ट्रीय नेत्रहीनों की स्पर्धा में 13 नेत्रहीन खिलाडिय़ों ने ऐसा प्रदर्शन किया कि लोग देखकर दंग रह गए। इन नेत्रहीन खिलाडिय़ों ने थाली फेंक, गोला फेंक, भाला फेंक जैसी स्पर्धाओं में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की। 

 विविध आयु समूह में अंध विद्यालय की कीमा कासदेकर ने थाली फेंक व भाला फेंक स्वर्ण पदक और गोला फेंक में रजत पदक जीता। उसी प्रकार पूजा दौलतकार ने भाला फेंक, 200 मी. दौड़ में रजत पदक और गोला फेंक एक कांस्य पदक अपने नाम किया। ममता कोडलमकर ने थाली में फेंक में स्वर्ण व गोला फेंक में रजत और भाला फेंक में कांस्य पदक झटका। सागर धामणकर ने गोला में फेंक स्वर्ण, भाला फेंक में रजत और थाली फेंक में कांस्य पदक हासिल कर सबको चौंका दिया। कर्मशाला के इन विद्यार्थियों ने अपनी विकलांगता और नेत्रहीनता को मात करते हुए विविध आयु समूह में उल्लेखनीय सफलता हासिल की। कर्मशाला के राजेश कांबले ने भाला फेंक और थाली फेंक में स्वर्ण, गोला फेंक में कांस्य पदक जीता, सतगुरुसिंह बावरी ने थाली व गोला फेंक में स्वर्ण और भाला फेंक में रजत ऐसे तीन मेडल पर अपना कब्जा किया। इसी तरह करिश्मा दिघारे ने भाला फेंक में रजत पदक जीत कर अमरावती की शान में चार चांद लगा दिए। इसके पूर्व हुई तैराकी स्पर्धा में भी इस विद्यालय के खिलाड़ी अनेक पदक जीत हासिल कर चुके हैं। 

सभी ने की सराहना 
कर्मशाला के इन दिव्यांग छात्रों ने 8 स्वर्ण पदकों पर अपना कब्जा किया। छात्रों की इस सफलता पर सभी स्तर पर उनका सराहना की जा रही है। स्वर्ण पदक प्राप्त करनेवाले खिलाडिय़ों ने कीमा कासदेकर, ममता कोडलमकर, सागर धामणकर, राजेश कांबले, सदगुरुसिंह बावरी इन खिलाडिय़ों का समावेश है। 

रंग लाई मेहनत  
राष्ट्रीय स्पर्धा में कर्मशाला के नेत्रहीन छात्रों के 19 मेडल जीतने पर न केवल डॉ. नरेंद्र भिवापुरकर विद्यालय व आश्रित अंध कर्मशाला बल्कि अमरावती शहर में खुशी की लहर दौड़ गई है। कर्मशाला के  मुख्याध्यापक एन.एस. इंगोले ने सिटी भास्कर को बताया कि कर्मशाला के विद्यार्थी आम बच्चों की तरह प्रत्येक स्पर्धा में हिस्सा लेने में दिलचस्पी दिखाते हैं। छात्रों का यह मानना है कि आज के इस सफलता के दौर में हम भी पीछे ना रहें। इसके लिए वे पूरी जिद और लगन के साथ खेल प्रतियोगिता की तैयारी में जुट जाते हैं। इससे प्रशिक्षकों को भी उन्हें प्रशिक्षण देने का हौसला मिलता है। दिव्यांग खिलाडिय़ों की यह मेहनत रंग लाई।

Created On :   15 Sep 2017 10:24 AM GMT

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