बोफोर्स घोटाला : फिर सक्रिय हुई CBI, जांच करने केंद्र से मांगी इजाजत

Bofors Scam CBI seeks permission from central government to reopen this case
बोफोर्स घोटाला : फिर सक्रिय हुई CBI, जांच करने केंद्र से मांगी इजाजत
बोफोर्स घोटाला : फिर सक्रिय हुई CBI, जांच करने केंद्र से मांगी इजाजत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक जमाने में कांग्रेस के गले की हड्डी बन चुका "बोफोर्स घोटाला" एक बार फिर से कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी करने जा रहा है। अब तक तो बोफोर्स घोटाले पर बीजेपी कांग्रेस को घेरती थी, लेकिन अब CBI ने भी इसमें अपना हाथ डाल दिया है। CBI ने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) फाइल करने के लिए मंजूरी देने की मांग की है। CBI इस  मामले में सरकार से 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के दिए गए फैसले पर पुनर्विचार करने और इसपर FIR निरस्त करने को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में SLP फाइल करना चाहती है। बता दें कि हाल ही में प्राइवेट डिटेक्टिव माइकल हर्शमैन ने इस घोटाले से जुड़े कई दावे किए हैं, जिसकी जांच भी CBI करना चाहती है। 

हाईकोर्ट ने क्या दिया था फैसला? 

दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 मई 2005 को बोफोर्स मामले पर फैसला सुनाते हुए इससे जुड़े सभी लोगों को बरी कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट में उस समय के जस्टिस आरएस सोढ़ी ने फैसला सुनाते हुए यूरोप के हिंदुजा ब्रदर्स (श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाशचंद) के साथ-साथ बोफोर्स कंपनी पर लगे सभी आरोपों को निरस्त कर दिया था। इसके अलावा कोर्ट ने CBI को फटकार लगाते हुए कहा था कि, इस मामले में उसकी जांच करने के तरीके से सरकारी खजाने पर 250 करोड़ का बोझ पड़ा है। वहीं इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के एक और जज जेडी कपूर ने 4 फरवरी 2004 को दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर लगे बोफोर्स घोटाले के आरोपों को हटा दिया था और बोफोर्स कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप तय करने के निर्देश दिए थे। 

माइकल हर्शमैन ने क्या लगाए हैं आरोप? 

अमेरिका की एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी "फेयरफैक्स" के चेयरमैन माइकल हर्शमैन ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में बोफोर्स घोटाले से जुड़े कई दावे किए हैं। हर्शमैन ने दावा किया है कि, "राजीव गांधी को जब स्विस बैंक अकाउंट "मोंट ब्लैंक" के बारे में पता चला तो वो काफी गुस्से में थे।" उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि, "बोफोर्स घोटाले का पैसा स्विस बैंक में रखा गया है।" इसके साथ हर्शमैन ने ये भी आरोप लगाया है कि, "उस समय की राजीव गांधी की सरकार ने उनकी जांच में रोड़े लगाए थे और उन्हें रिश्वत देने की कोशिश की गई।" इतना ही नहीं उन्हें कई बार जान से मारने की भी धमकी दी गई। 

स्मृति ईरानी ने कांग्रेस से किए सवाल

वहीं बीजेपी नेता और यूनियन मिनिस्टर स्मृति ईरानी ने हर्शमैन के आरोपों के बाद कांग्रेस से कई सवाल किए हैं। एक इंटरव्यू में हर्शमैन के लगाए गए आरोपों पर स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के नेता इस घोटाले में शामिल थे और कांग्रेस को इसपर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हर्शमैन के खुलासों के बाद कई जवाब उठे हैं, जिनका जवाब जनता को मिलना चाहिए। बोफोर्स घोटाले की सच्चाई सबके सामने आनी चाहिए। स्मृति ईरानी ने सवाल किया कि मुंबई में बैंक रेड के बाद राजीव गांधी एक पाकिस्तानी व्यक्ति से मिले और फिर मुंबई का बैंक खोल दिया गया। ईरानी ने कहा कि, बैंक ऑफ क्रेडिट एंड कॉमर्स इंटरनेशनल (BCCI) की स्थापना 1972 में एक पाकिस्तानी ने की थी। ईरानी ने आरोप लगाया कि, "राजीव गांधी जिस पाकिस्तानी से मिल, वो कौन था? वो कौन था, जो माइकल हर्शमैन को जांच करने से रोक रहा था? उस समय के फाइनेंस मिनिस्टर वीपी सिंह को झूठे केस में फंसाने की कोशिश क्यों की जा रही थी?" उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस का इतिहास रहा है, करप्शन करने का और जो उन्हें रोकेगा,उसे भी पैसा दिया जाएगा या धमकाया जाएगा। 

क्या है बोफोर्स घोटाला? 

बोफोर्स तोप घोटाला या बोफोर्स कांड 1987 में सामने आया था और ये मामला 64 करोड़ रुपए की दलाली से जुड़ा हुआ है। 1986 में वेपेन्स बनाने वाली स्वीडिश कंपनी बोफोर्स ने इंडियन आर्मी को 400 तोपें सप्लाई करने की डील की थी। ये डील 1.3 अरब डॉलर (करीब 8,380 करोड़ रुपए) की थी। 1987 में ये बात सामने आई कि इस डील को हासिल करने के लिए भारत में 64 करोड़ रुपए की दलाली की गई। उस समय कांग्रेस की सरकार थी और राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। लिहाजा कांग्रेस और राजीव गांधी पर बोफोर्स घोटाले के आरोप लगे। इस घोटाले के बाद 1989 में राजीव गांधी की सरकार भी गिर गई। इस घोटाले में इटैलियन बिजनेसमैन और राजीव गांधी के करीबी ओताविया क्वात्रोची ने दलाल का रोल किया। बताया जाता है कि इसके बदल में क्वात्रोची को दलाली की बड़ी रकम दी गई। 1997 में इस मामले की जांच CBI को सौंपी गई। इसके बाद 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट ने राजीव गांधी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी। बता दें कि क्वात्रोची की 2013 में मौत हो गई थी। 

Created On :   21 Oct 2017 3:07 AM GMT

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