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कामकाजी महिला को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार नहीं : हाईकोर्ट
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कामकाजी महिला, जो खुद का जीवनयापन करने में सक्षम है, वह अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार नहीं रखती। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में इस बात को स्पष्ट किया है। जस्टिस आरएम सावंत व जस्टिस साधना जाधव की बेंच ने एक महिला टीवी कलाकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। पारिवारिक कोर्ट ने महिला को अंतरिम गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया था।
पति के वकील ने कहा
पारिवारिक कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान पति की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल की पत्नी ने बालाजी टेलिफिल्म के शो में 2005 से 2010 के बीच काम किया है। जबकि मेरे पास (पति) फिलहाल कोई स्थायी काम नहीं है। पत्नी के अलग होने से पहले वह सारे खर्च वहन करता था। साथ ही पत्नी के माता-पिता का खर्च भी उठाता था।
पत्नी के वकील ने किया दावा
वहीं पत्नी के वकील ने बेंच के सामने दावा किया कि उसकी मुवक्किल वर्ष 2010 से अपने पति से अलग रह रही है। तलाक के लिए पारिवारिक कोर्ट में सुनवाई चल रही है, इसलिए पारिवारिक कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उसके मुवक्किल को अंतरिम राहत के तौर पर 50 हजार रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता दिया जाए।
वर्तमान में मेरी मुवक्किल किसी टीवी शो में काम नहीं कर रही, इसलिए उसके पास गुजर बसर के लिए पैसे नहीं हैं। फिलहाल वह अपने गुजर-बसर के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर है। पत्नी के मुताबिक उसके पति ने हाल ही में एक तेलुगु फिल्म साइन की है। जिसमें उसे काफी पैसे मिले हैं, इसलिए कोर्ट अंतरिम तौर पर गुजारा भत्ता देने का निर्देश दे।
Created On :   27 July 2017 10:11 AM GMT