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बहन की सरकारी नौकरी के आधार पर भाई को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं कर सकते : HC
डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकारी नौकरी मिलने के बावजूद अविवाहित बहन के परिवार के साथ रहने की वजह से भाई को अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने राहुल कोली की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। कोली के पिता महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीसिटी डिस्ट्रिब्युशन कंपनी (महावितरण) में वरिष्ठ टेक्निशियन के रुप में कार्यरत थे। 10 नवबंर 2011 को पिता की मौत के बाद कोली ने जुलाई 2014 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। 5 नवंबर 2015 को कोली के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया। महावितरण के इस निर्णय के खिलाफ कोली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
न्यायमूर्ति आरएम सावंत व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने कोली की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान महावितरण ने तर्क दिया कि नियमानुसार याचिकाकर्ता यह साबित करने में विफल रहा है कि जब उसके पिता की मौत हुई तो उसकी बहन परिवार से अलग रहती थी। याचिकाकर्ता की बहन राज्य के सार्वजनिक निर्माण कार्य विभागल (पीडब्लूडी) में कार्यरत है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने अपने पिता के निधन के तीन साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया है। जो कि दर्शाता है कि याचिकाकर्ता को कोई वित्तीय संकट नहीं था। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल की बहन फिलहाल शादीसुदा है और वह अलग रहती है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमारे समाज में यह अपेक्षा नहीं की जा सकती है कि अविवाहित बेटी नौकरी मिलने के बाद अपने माता-पिता से अलग रहे। अनुकंपा नियुक्ति एक कर्मचारी के परिवार को वित्तीय संकट से उबरने के लिए प्रदान की जाती है। इसलिए याचिकाकर्ता के केवल यह साबित न कर पाने कि पिता के जीवित रहते उसकी बहन उससे अलग रहती थी, के आधार पर उसे अनुकंपा नियुक्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने महावितरण को याचिकाकर्ता के अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े आवेदन पर नए सिरे से विचार करने को कहा है और उस पर 31 दिसंबर 2018 तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
Created On :   8 Oct 2018 6:57 PM GMT