नक्सलियों से मुक्त हुआ बोरिया गांव, मिली राहत

Boraia village freed from naxalites, villagers got relief from problems
नक्सलियों से मुक्त हुआ बोरिया गांव, मिली राहत
नक्सलियों से मुक्त हुआ बोरिया गांव, मिली राहत

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली।  भामरागड़ तहसील के ग्राम बोरिया को नक्सलियों ने अपना गढ़ बना लिया था। वे किसी भी काम के लिए ग्रामीणों का इस्तेमाल कर रहे थे।  नक्सलियों के आतंक से ग्रामीण त्रस्त  हो गए थे। 22 और 23 अप्रैल को मुठभेड़ में 39 नक्सलियों के मारे जाने से  बोरियावासियों ने राहत की सांस ली है।  बता दें कि, छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे बोरिया, कसनासुर समेत  अन्य गांवों में नागरिक नक्सली दहशत से त्रस्त थे। इसी बीच पुलिस जवानों द्वारा तीन दलम का सफाया किए जाने से क्षेत्र के लोगों में खुशी की झलक देखी जा रही है।

बताया जाता है कि, मारे गए नक्सलियों में पेरमिली, अहेरी और प्लाटून क्रमांक 2 के नक्सलियों का समावेश था।  उल्लेखनीय है कि भामरागड़ तहसील अंतर्गत तथा छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे बोरिया, कसनासुर समेत क्षेत्र के अन्य गांवों में नक्सलियों का काफी प्रभाव था। नक्सली इन गांवों में जाकर नागरिकों से भोजन मांगा करते थे। 

धन उगाही भी करते थे 
यही नहीं उनसे चंदे के रूप में पैसे मांगना, लोगों की पिटाई करना, गांव में सरकारी योजनाएं नहीं पहुंचने देना,  गांव में विकासकार्य करवाने वालों से अपने हिस्से की राशि मांगना आदि नक्सली दहशत से नागरिक खौफजदा थे, लेकिन हाल ही में पुलिस जवानों द्वारा 39 नक्सलियों का खात्मा किए जाने की खबर सुनते ही बोरिया समेत क्षेत्र के गांवों के नागरिकों ने राहत की सांस ली। ग्रामीणों ने बताया कि, नक्सली उसने जबरन अपराध करवाते थे। बंदूक की नोंक पर  धमकाते है। इससे ग्रामीण दहशत में जी रहे थे। अब इस क्षेत्र से नक्सलियों का खात्मा होने के कारण उनमें हर्ष नजर आ रहा है।  इस पर ग्रामीणों ने पुलिस विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया है।  

नक्सल पीडि़त महिला ने लिखा एसपी के नाम खत  
नक्सलियों द्वारा पति की हत्या करने के बाद अपने बच्चों को लेकर कष्टभरा जीवन जी रही नक्सल पीड़ित विधवा ने हाल ही में मुठभेड़ में मारे गए 39 नक्सलियों की मौत के बाद पति को सही मायने में न्याय मिलने की बात कहते हुए जिला पुलिस अधीक्षक के नाम लिखे खत में खुशी का इजहार किया है। भामरागड़ तहसील के आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित कोठी गांव निवासी कल्पना कालीदास जुमनाके आंगनवाड़ी केंद्र में आंगनवाड़ी सेविका के रूप में कार्यरत थी। 7 अपै्रल 2014 की रात कुछ नक्सली उसके घर पहुंचे और कालीदास को जंगल ले गए। वहां उसकी हत्या कर दी। रातभर कालीदास के घर नहीं लौटने पर कल्पना व उनके परिजनों ने उसकी खोज शुरू की।

घटना के दूसरे दिन सुबह गांव के समीप सड़क पर कालीदास का शव मिला। इस घटना के बाद कल्पना ने दो  बच्चों के साथ गांव छोडऩे का मन बना लिया था, किंतु आंगनवाड़ी केंद्र में अल्प मानधन पर काम कर रही कल्पना ने अपना फैसला बदला। पुलिस विभाग ने महिला की विकट परिस्थिति की सुध लेते हुए उसे अन्यत्र नौकरी दिलवाई। इसी बीच रविवार और सोमवार को हुई मुठभेड़ में 39 नक्सलियों के मारे जाने के बाद उसने पति के हत्यारों को सजा मिलने की बात कहते हुए जिला पुलिस अधीक्षक डा. अभिनव देशमुख के नाम खत लिखकर खुशी जाहिर की है। 

Created On :   27 April 2018 9:28 AM GMT

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