मां का दूध बच्चे को रखता तन और मन से स्वस्थ

Breastfeeding keeps baby and mom mentally and physically healthy
मां का दूध बच्चे को रखता तन और मन से स्वस्थ
मां का दूध बच्चे को रखता तन और मन से स्वस्थ

 

डिजिटल डेस्क । आपने कई बार सुना होगा कि मां का दूध शिशु के लिए सबसे अच्छा होता है। डॉक्टर से लेकर घर के बड़े सभी नई मांओं को शिशु को दूध पिलने की सलाह देते है। वहीं ये बात कई स्टडीज में पूरी तरह से साबित हो चुकी है कि मां के दूध में फैट, शुगर, पानी और प्रोटीन की सही मात्रा होती है जो बच्चे की अच्छी हेल्थ के लिए बेहद जरूरी है। मां का दूध किस तरह से बच्चे के लिए प्रोटेक्टिव लेयर का काम करता है। साथ ही इससे मां को भी कई तरह के फायदे होते है। 

 

 

नैचरल प्रोसेस है ब्रेस्टफीडिंग

 

ब्रेस्टफीडिंग एक नैचुरल प्रोसेस है। बच्चा जैसे ही पैदा होता है, ब्रेस्ट में दूध बनना शुरू हो जाता है और कई महीनों तक बच्चे का यही खाना होता है। हां, बच्चे को सही तरह से फीड करवाने के लिए जरूरी है कि मां को ब्रेस्टफीडिंग का सही तरीका पता हो। दरअसल, सही पोजिशन को जानकर ही बच्चे को सही तरीके से फीडिंग करवाई जा सकती है।

 

 

कितनी बार पिलाएं दूध?

 

गाइनैकॉल्जिस्ट डॉ सोनिया कहती हैं, नवजात को हर 2 से 3 घंटे पर दूध पिलाना चाहिए। जब बच्चा 4 से 6 महीने का हो जाए, तो उसे सॉलिड फूड देना शुरू कर दें। अगर आप सोच रही हैं कि बच्चे के लिए आपके पास इतना दूध हो पाएगा या नहीं, तो हम आपको बता दें कि ब्रेस्ट मिल्क का प्रॉडक्शन उसकी डिमांड व सप्लाई पर निर्भर करता है। आप बच्चे को जितना फीड करवाएंगी, उतना ही अधिक दूध बनेगा। एक स्टेज के बाद बच्चे का विकास तेजी से होता है, इसलिए जिस बच्चे को पहले 3 घंटे में दूध की जरूरत पड़ती है, बाद में उसे हर 1 घंटे में दूध चाहिए होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी डायट की क्वॉन्टिटी बढ़ाने के साथ उसमें न्यूट्रिशंस का भी ध्यान रखें।

 

 

 

मां और बच्चा दोनों रहेंगे हेल्दी

 

पहले महिलाएं सोचती थीं कि ब्रेस्टफीडिंग कराने से उनका फिगर खराब हो जाएगा और उनकी ब्यूटी पर भी इसका असर पड़ेगा। लेकिन डॉक्टर्स के मुताबिक, मां का दूध न सिर्फ बच्चे को हेल्दी रखता है, बल्कि मां को भी फिट बनाने में मदद करता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बनने वाले हॉर्मोंस आपकी ब्यूटी को ओवरऑल निखारने में भी मदद करते हैं। बॉडी में लगातार प्रोसेस होने से आपका इम्यून सिस्टम भी स्ट्रॉग बनता है।

 

 

 

कई इन्फेक्शन से बच्चे को बचाए

 

  • मां का दूध बच्चे के बीमार होने पर उसकी बॉडी को लड़ने की पावर देता है। इससे बच्चे की इम्यूनिटी भी स्ट्रॉन्ग होती है, जो बड़े होने तक उसका साथ निभाती है।
  • बच्चे के पैदा होने के बाद कोलोस्ट्रम पहला दूध होता है, जो मां के ब्रेस्ट में बनता है। यही दूध बच्चे को डायरिया, चेस्ट इन्फेक्शन और दूसरे रोगों से बचाता है।
  • नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ और ह्यूमन डिवेलपमेंट की हाल ही में आई रिसर्च के मुताबिक, मां के दूध में फैटी ऐसिड होता है, जो बच्चे के ब्रेन डिवेलपमेंट में मदद करता है।
  • प्राकृतिक रूप से बालों को उगाने के लिए 1 आसान तरीका है।

 

 

 

काई गंभीर बीमारियों से मां को बचाए

 

ब्रेस्टफीडिंग करवाने से महिला हार्ट प्रॉब्लम, डायबीटीज, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बच सकती है। यही नहीं, यह ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी काफी हद तक कम कर देता है। डिप्रेशन को दूर करने में भी यह प्रोसेस बेहद कारगर है। बकौल अजय, फीडिंग करवाते समय महिलाओं की बॉडी से एक हॉर्मोन ऑक्सिटॉक्सिन निकलता है, जिससे वे टेंशन फ्री रहती हैं और अच्छा फील करती हैं।

 

 

 

स्ट्रॉन्ग बॉन्डिंग

 

माना जाता है कि बच्चा पूरे जीवनभर पिता से ज्यादा मां के नजदीक इसलिए होता है, क्योंकि मां बच्चे को अपना दूध पिलाकर बड़ा करती है। यही चीज उनके बीच स्ट्रॉग बॉन्डिंग बनाती है। स्टडीज के बाद यह भी पता चला है कि अगर मां बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाती, तो उनके बीच अपनेपन का अभाव हो जाता है।

 

 

 

फिगर रहेगा मेंटेन

 

आप जितनी ज्यादा ब्रेस्ट फीडिंग कराएंगी, उतनी अधिक कैलरीज बर्न होगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ब्रेस्टफीड कराने में कम से कम 20 कैलरी एक बार में कम हो जाती है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़ने वाले वेट को कम करने में भी ब्रेस्टफीड बेहद काम आती है।

 

 

 

Created On :   14 July 2018 5:59 AM GMT

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