कैबिनेट की मंजूरी, छिंदवाड़ा में बनेगी यूनिवर्सिटी

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कैबिनेट की मंजूरी, छिंदवाड़ा में बनेगी यूनिवर्सिटी

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। हार्टीकल्चर और एग्रीकल्चर कॉलेज के बाद सोमवार को मध्यप्रदेश कैबिनेट ने छिंदवाड़ा को बड़ी सौगात दी है। सालों से जिले में की जा रही यूनिवर्सिटी की मांग को हरी झंडी दे देते हुए सरकार ने छिंदवाड़ा में यूनिवर्सिटी खोलने की मंजूरी दे दी है। हाल ही में उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त राघवेंद्र कुमार सिंह ने जिले का दौरा करते हुए यूनिवर्सिटी को लेकर अधिकारियों की बैठक भी ली थी। तब से ही प्रदेश स्तर पर छिंदवाड़ा में यूनिवर्सिटी बनाए जाने के प्रपोजल पर काम करना शुरू कर दिया गया था। सोमवार को आचार संहिता हटते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में हुई पहली कैबिनेट की बैठक में इसका औपचारिक ऐलान कर दिया है। अब जिला स्तर पर जमीन की तलाश से लेकर अन्य कागजी प्रोसेस स्थानीय अधिकारियों द्वारा तैयार की जाएगी। 
 

चार जिलों को जोड़ा जाएगा छिंदवाड़ा से 
छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी से आसपास के चार जिलों के कॉलेजों को जोड़ा जाएगा। इसमें छिंदवाड़ा के अलावा सिवनी, बालाघाट और बैतूल को शामिल करने की तैयारी है। पिछले दिनों छिंदवाड़ा आए उच्च शिक्षा आयुक्त ने इन्ही चार जिलों को ध्यान में रखते हुए छिंदवाड़ा को यूनिवर्सिटी बनाए जाने का प्लान तैयार किया है। फिलहाल सिवनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, जबलपुर यूनिवर्सिटी और बैतूल के कॉलेज बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से संबंद्ध है। 
 

33 कॉलेजों में अध्ययनरत हैं 30 हजार विद्यार्थी
जिले में 33 शासकीय-अशासकीय कॉलेज रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। इसमें 16 शासकीय कॉलेज, 4 अनुदान प्राप्त कॉलेज एवं 13 अशासकीय कॉलेज शामिल हैं। इनमें करीब तीस हजार विद्यार्थी फिलहाल अध्ययनरत हैं। इसके अलावा जिले के सात अशासकीय कॉलेज डॉ. हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं। यदि चारों जिलों को जोड़ा जाए तो एक लाख से ज्यादा विद्यार्थियों की संख्या होगी। चारों जिलों को मिलाकर 138 कॉलेज छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी से जुडंगे। 
 

सारना-बनगांव के पास खुल सकती है यूनिवर्सिटी
सारना-बनगांव के पास राजस्व की लगभग 135 एकड़ जमीन है। यहां पर यूनिवर्सिटी की स्थापना किए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। पिछले दिनों जिले के दौरे पर आए उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त राघवेंद्र कुमार ने भी इस स्थल का निरीक्षण किया था। हालांकि अभी तक जमीन फाइनल नहीं हो पाई है। जमीन तलाशने की प्रक्रिया आज से तेज हो जाएगी। 
 

क्या होगा फायदा

  • शैक्षणिक समस्याओं के निराकरण के लिए छात्र-छात्राओं को यूनिवर्सिटी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। जबलपुर और सागर दोनों ही यूनिवर्सिटी की दूरी 200 किलोमीटर से ज्यादा है।
  • फीस स्ट्रक्चर: सबसे बड़ी दिक्कत फीस स्ट्रक्चर की थी। सागर की तुलना में जबलपुर यूनिवर्सिटी की फीस दोगुनी से ज्यादा थी। जो जिले के गरीब छात्र वहन नहीं कर पा रहे थे। 
  • नए कोर्स: अब तक जिले के कॉलेजों में सीमित कोर्स ही संचालित किए जाते थे लेकिन यूनिवर्सिटी बनने के बाद जिले के छात्र प्रबंधन सहित कई महत्वपूर्ण कोर्स कर सकते हैं। 
  • छिंदवाड़ा में होगी रिसर्च: यूनिवर्सिटी नहीं होने से जिले के छात्रोंं को रिसर्च के लिए भोपाल, जबलपुर, सागर सहित इंदौर जाना पड़ता था, लेकिन अब छिंदवाड़ा में ही पीएचडी, एमफिल सहित अन्य रिसर्च हो सकेगी। 
     

Created On :   28 May 2019 7:49 AM GMT

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