महाराष्ट्र : बजट सत्र के बाद संभव है मंत्रिमंडल का विस्तार

Cabinet Shuffle after the budget session
महाराष्ट्र : बजट सत्र के बाद संभव है मंत्रिमंडल का विस्तार
महाराष्ट्र : बजट सत्र के बाद संभव है मंत्रिमंडल का विस्तार

डिजिटल डेस्क,नागपुर। राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें फिर तेज हो गई है।  26 फरवरी से राज्य विधानमंडल का बजट सत्र होगा। माना जा रहा है कि बजट सत्र के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार का मुहूर्त निकल सकता है।  इस बार मंत्रिमंडल विस्तार होने पर  विदर्भ को अधिक प्रतिनिधित्व मिलने की फिलहाल संभावना बहुत कम है।

सत्ता पक्ष का मौन 
2019 में होनेवाले चुनाव की तैयारी को देखते हुए निर्दलीय व अन्य दलों से भाजपा में आकर विधायक बने जनप्रतिनिधियों के नाम की लाटरी लग सकती है। गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा कई दिनों से चल रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रावसाहब दानवे भी कह चुके हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। कुछ विधायकों को मंत्री बनाने के संकेत साफ तौर पर दिए गए हैं। विधानसभा के शीतसत्र के समय रावसाहब दानवे ने तो यह भी कहा था कि सत्र समाप्त होते ही मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा, लेकिन इस मामले में अब सत्तापक्ष की ओर से कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा है।

राणे को लेकर नहीं बन रही सहमति 
सूत्र के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को मंत्रिमंडल को लेने के मामले में पेंच कायम है। राणे को मंत्रिमंडल में लेने पर शिवसेना की भूमिका की संभावना को लेकर भाजपा निर्णय नहीं ले पा रही है। लिहाजा सरकार को संकट में नहीं डालने के विचार के साथ मंत्रिमंडल विस्तार रोका गया है। हालांकि मुख्यमंत्री फडणवीस कह चुके हैं कि राणे को भाजपा अपने कोटे से मंत्रिमंडल में लेगी। राणे के मंत्री बनने पर किसी को परहेज नहीं होना चाहिए। राणे भी कह चुके हैं कि वे अधिक दिनों तक संयम नहीं रखते हैं। जल्द ही मंत्री बनेंगे, लेकिन राणे के लिए अनुकूल राजनीतिक माहौल नहीं बन पा रहा है।

राकांपा की भूमिका से अड़चन
राजनीतिक जानकार के अनुसार राकांपा की नई भूमिका के कारण भाजपा मंत्रिमंडल िवस्तार के मामले में अड़चन महसूस कर रही है। पहले राकांपा अपरोक्ष तौर पर भाजपा की सहयोगी लग रही थी। वह कांग्रेस के साथ दूरी बनाने लगी थी, लेकिन दो माह में राकांपा की भूमिका अलग नजर आ रही है। वह कांग्रेस के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के साथ मिलकर राकांपा ने सरकार के विरोध में प्रदर्शन भी किया। लिहाजा भाजपा अपनी सहयोगी शिवसेना को दुखी नहीं करना चाहती है। हालांकि शिवसेना भी एकाएक बदली-बदली नजर आने लगी है। शिवसेना ने सरकार के विरोध में ही मोर्चा खोल रखा था। शिवसेना कोटे के मंत्रियों ने तो खुले तौर पर भाजपा के मंत्रियों के विभागों पर वार करना शुरू कर दिया था। किसान व कर्ज मामले को लेकर शिवसेना सरकार के िवरोध में आक्रामक होने लगी थी। अब शिवसेना के तेवर नरम नजर आने लगे हैं।

असंतुष्टों का किया जा सकता है बदलाव
सूत्र के अनुसार मंत्रिमंडल का विस्तार भी हुआ, तो विदर्भ को अधिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा। पहले से ही इस क्षेत्र से 7 मंत्री हैं। 1 कैबिनेट व 2 राज्य मंत्रियों के कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री असंतुष्ट हैं। उन मंत्रियों का बदलाव किया जा सकता है। अमरावती जिले से 2 मंत्री राज्य मंत्रिमंडल में हैं। माना जा रहा है कि इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में अमरावती का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है। गोंदिया जिले में पूर्व सांसद नाना पटोले की बगावत के बाद नुकसान की संभावना को देखते हुए गाेंदिया-भंडारा का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाया जा सकता है। सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार बडोले गोंदिया जिले से ही हैं। विविध महामंडलों के अध्यक्ष के पद रिक्त हैं। महामंडल अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा रहता है। लिहाजा सबका साथ साधने की रणनीति के तहत महामंडलों के अध्यक्षों की िनयुक्ति को बल मिल सकता है।

Created On :   16 Jan 2018 8:22 AM GMT

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