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कैग की रिपोर्ट पेश : महाराष्ट्र की जेलों में क्षमता से 37 फीसदी अधिक कैदी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य की जेलों में क्षमता की तुलना में कैदियों की संख्या साल-दर साल बढ़ रही है। महाराष्ट्र की जेलों में क्षमता से 37 फीसदी अधिक कैदी रह रहे हैं। वर्ष 2013 की तुलना में 2016 में अपराध सिद्ध होने का प्रमाण दो गुना से ज्यादा होने के चलते भी जेलों में कैदियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इनमें सर्वाधिक संख्या विचाराधीन कैदियों की है। विधानमंडल मानसून सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को दोनों सदनों में पेश भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 में राज्य की जेलों की क्षमता 22336 कैदियों की थी लेकिन जेलों में 27883 कैदी रह रहे थे। 2017-18 में अधिकृत क्षमता 23942 को मुकाबले कैदियों की वास्तविक संख्या 32810 थी। मार्च 2018 में जेलों की अधिकृत क्षमता की अपेक्षा कैदियों की संख्या 37 फीसदी अधिक थी। जेलों में कैदियों की भीड़ और नए जेलों की जरूरत आदि के लिए जून 2017 में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्य़ायधीश की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। समिति को दिसंबर 2017 तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी। लेकिन समिति दिसंबर 2018 तक रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2018 में हुई बैठक में राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव ( अपील व सुरक्षा) ने यह माना था कि 2014-15 से जेलों में अतिरिक्त क्षमता निर्माण नहीं हो सका है।
72 फीसदी विचाराधीन कैदी
उन्होंने यह भी बताया था कि जेलों में 50 फीसदी से ज्यादा विचाराधीन कैदी होते हैं। इस लिए जब तक विचाराधीन कैदियों से संबंधित अपराधों को लेकर मौजूदा प्रावधानों में बदलाव नहीं किया जाएगा, तब तक कोशिश करने के बावजूद जेलों से भीड़ कम नहीं की जा सकती। विचाराधीन कैदियों के चलते सजायाफ्ता कैदियों के लिए जेल सुधार केंद्र नहीं बन पा रहे हैं। 2013-14 के दौरान कुल 1,49,962 कैदियों में से 1,07,678 (72 फीसदी) विचाराधीन कैदी थे। जबकि केवल 28 फीसदी सजायाफ्ता कैदी थे।
जेल कैदी क्षमता कैदियों की मौजूदा संख्या (मार्च2018)
मध्यवर्ती जेल (9) 14841 23023
जिला जेल वर्ग-1 (9) 3386 4381
जिला जेल वर्ग-2 (16) 3347 3804
जिला जेल वर्ग-3 (02) 185 218
खुली जेल (13) 1522 943
महिला जेल (01) 262 309
विशेष जेल (01) 246 117
नागपुर जेल से मिले थे 171 मोबाईल फोन
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जेलों में समय-समय पर होने वाली जांच-पड़ताल में प्रतिबंधित चीजे मिलती रहती हैं। इन्हें रोकने के लिए जेल के गेट पर स्कैनर, डीप मेटल डिटेक्टर व मोबाईल डिटेक्टर लगाने की जरूरत है। मध्यवर्ती कारागृह व सुधार केंद्र नागपुर से 2013 से 2017 के दौरान 171 मोबाईल फोन, 33 सिम कार्ड, 235 मोबाईल बैटरी, 2 पेन ड्राईव, 47 मोबाईल चार्जर, 47 पैकेट गांजा आदि प्रतिबंधित चीजे बरामद हुई थी। इसी तरह नाशित मध्यवर्ती जेल से 100 मेबाईल फोन, 66 सिम कार्ड, 132 मोबाईल बैटरी, 45 चार्जर, ईयर फोन आदि मिले थे।
Created On :   2 July 2019 3:54 PM GMT