मप्र के छतरपुर में 22 घंटे तक मृत बच्चा कोख में लिए तड़पती रही प्रसूता

Carrying dead child in her womb women suffered for 22 hours
मप्र के छतरपुर में 22 घंटे तक मृत बच्चा कोख में लिए तड़पती रही प्रसूता
मप्र के छतरपुर में 22 घंटे तक मृत बच्चा कोख में लिए तड़पती रही प्रसूता

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। मप्र के छतरपुर से दिल दहलाने वाली खबर आई है. आए दिन सुर्खियों में रहने वाले जिला अस्पताल में एक महिला 22 घंटे तक मृत बच्चे को कोख में लेकर तडपती रही.जिला अस्पताल के डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस में बिजी रहे और महिला ने 22 घंटे बाद अस्पताल के फर्श पर मृत बच्चे को जन्म दिया. प्रसव पीड़ा से तड़पती राजनगर थाना क्षेत्र के परा निवासी अभिलाषा पटैल पति लोकेश पटैल उम्र 25 वर्ष को रविवार की दोपहर एक बजे भर्ती किया गया था। जांच के दौरान उसकी कोख में पल रहे बच्चे को मृत बताते हुए भर्ती कर दिया। भर्ती के बाद से 22 घंटे तक कोख में मृत बच्चे को लिए तड़पती रही है, लेकिन डॉक्टरों ने ध्यान नहीं दिया। सोमवार की दोपहर 11 बजे परिजनों के द्वारा महिला को डिलेवरी रूम की ओर ले जाते समय रास्ते में ही मृत बच्चे को जन्म दिया है।

निजी प्रैक्टिस में व्यस्त हैं डॉक्टर


जिला अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर निजी प्रैक्टिस में व्यस्त रहते हैं। अस्पताल में आने वाले मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर अपने घर पर इलाज कराने को मजबूर करते हैं। अपनी निजी घर पर मरीजों का इलाज कर मोटी रकम वसूलने का काम कर रहे हैं। अस्पताल में पदस्थ सभी चिकित्सकों के द्वारा अपने घर ही मरीजों का इलाज कर प्रैक्टिस करने में लगे हुए है। सभी डॉक्टरों ने अपने-अपने घर पर क्लीनिक खोल रखे हैं। अब उनके पास इतना समय नहीं रहता है कि वो जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज में दे सके, क्योंकि घर पर बैठे मरीज उनका इंतजार करते हैंै। इसी का खामियाजा जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

इमरजेंसी में भी नहीं आते डॉक्टर


गंभीर मरीज की स्थिति को देखते हुए अगर अस्पताल से किसी डॉक्टर को इमरजेंसी पर कॉल कर बुलाया जाता है तो उनके पास इतना समय नहीं रहता है कि वह आकर मरीज को देखकर इलाज कर सकें। मरीज तड़पता रहता है और इलाज के अभाव में उसकी जान भी चली जाती है, लेकिन उसका इलाज संभव नहीं हो पाता है। ऐसे कई मरीज हैं, जिनका इलाज नहीं हो पाना और समय पर डॉक्ट के नहीं आने से उसकी मौत हो जाती है। जिला अस्पताल की आपातकालीन सेवा पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई हैं।

मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़


अभिलाषा पटैल के पति लोकेश पटैल ने आरोप लगाते हुए बताया है कि प्रसव के दौरान पत्नी को इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया था। डॉ. सुरेखा खरे के द्वारा इलाज के दौरान अल्ट्रासाउंड कराया और बच्चे की धड़कन रुकना बताया था। इसके बाद रविवार को लोकर भर्ती किया गया। भर्ती के बाद से किसी भी डॉक्टर ने इलाज की सुध नहीं ली है। सोमवार की दोपहर 11 बजे मृत बच्चे को जन्म दिया। मरीज की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है। इसी प्रकार दूसरी घटना पनौठा निवासी चुनमुन अहिरवार सोमवार की सुबह 10 बजे प्रसव कराने के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था। भर्ती के बाद से चिकित्सकों ने उसकी सुध भी नहीं ली है। शाम 6 बजे अस्पताल की गैलरी में बच्चे को जन्म दिया है। अस्पताल में मौजूद नर्सों सहित चिकित्सकों के द्वारा घोर लापरवाही कर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जाता है। सिविल सर्जन डॉ. एसके चौरसिया का कहना है , "मेरी जानकारी में यह मामला नहीं आया है। अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच कराई जाएंगी, जो भी दोषी पाया जाएगा। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।" 

Created On :   27 March 2018 8:02 AM GMT

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