रिश्वतखोर तहसीलदार को क्यों नहीं किया निलंबित,लोकायुक्त ने आयुक्त को लिखा पत्र

case is pending in  Court of Special Judge Ashoknagar against Sadar Tehsildar
रिश्वतखोर तहसीलदार को क्यों नहीं किया निलंबित,लोकायुक्त ने आयुक्त को लिखा पत्र
रिश्वतखोर तहसीलदार को क्यों नहीं किया निलंबित,लोकायुक्त ने आयुक्त को लिखा पत्र

डिजिटल डेस्क, छतरपुर। सदर तहसीलदार आलोक वर्मा के खिलाफ विशेष न्यायाधीश अशोकनगर की कोर्ट में मामला विचाराधीन है। यह मामला लोकायुक्त पुलिस द्वारा प्रस्तुत किया गया था। मामले में पुलिस कोर्ट में चालान पेश कर चुकी है। ऐसे में नियमानुसार किसी भी लोक सेवक को पद पर रहने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में लोकायुक्त एसपी ग्वालियर द्वारा कमिश्नर सागर को करीब दो माह पहले पत्र लिखकर आलोक वर्मा को निलंबित करने की सिफारिश की थी, लेकिन शासन द्वारा लोकायुक्त के मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इस संबंध में प्रशासन का तर्क है कि तहसीलदार का निलंबन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। इस संबंध में वे पूर्व में भी शासन को सूचित कर चुके थे एक बार फिर से सूचित किया जा रहा है।

क्या है मामला
सदर तहसीलदार आलोक वर्मा करीब तीन साल पहले अशोकनगर में पदस्थ थे। इस दौरान वे एक मामले में रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त पुलिस द्वारा पकड़े गए थे। इस पर लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर द्वारा इनके खिलाफ अपराध क्रक्रमांक 113/16 धारा 7,13(1)की 12(2) पीसी एक्ट 1988 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अशोकनगर में लोकायुक्त में पकड़े जाने के बाद तहसीलदार आलोक वर्मा का स्थानांतरण शासन द्वारा छतरपुर कर दिया गया था। लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर द्वारा यह मामला विशेष न्यायाधीश अशोकनगर की कोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा 23 अप्रैल 18 को कोर्ट में तहसीलदार आलोक वर्मा के खिलाफ चालान पेश किया जा चुका है। चूंकि लोक सेवा आचरण अधिनियम के तहत किसी भी लोक सेवक के खिलाफ जब मामला कोर्ट में पहुंच जाता है तो उसे सेवा से निलंबित कर दिया जाता है। इसी अधिनियम के तहत एसपी लोकायुक्त ग्वालियर ने 16 नवंबर 18 को आयुक्त सागर को एक पत्र लिखकर तहसीलदार आलोक वर्मा को निलंबित करने की सिफारिश की गई।

चुनाव का हवाला देकर नहीं की कार्रवाई
तहसीलदार आलोक वर्मा के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसपी लोकायुक्त ने नवंबर 18 में पत्र लिखा था। इस दौरान विधानसभा चुनाव संचालित हो रहे थे। इसी आधार पर उन्हें निलंबित नहीं किया गया। चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी तहसीलदार आलोक वर्मा यथावत काम कर रहे हैं। जिले में 12 तहसीलें हैं और अधिकांश में प्रभारी तहसीलदार काम कर रहे हैं। तहसीलदार आलोक वर्मा के पास भी छतरपुर और छतरपुर नगर का प्रभार होने से जिला प्रशासन उन्हें रिलीव नहीं करना चाहता है।

इनका कहना है
पत्र मिला था। मैंने तुरंत राज्य शासन को भेज दिया था। तहसीलदार का निलंबन प्रदेश सरकार से होना है। मैं एक बार फिर से पत्र लिख रहा हूं, आगे की कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों को ही करना है.- रमेश भंडारी, कलेक्टर, छतरपुर

 

Created On :   14 Jan 2019 8:11 AM GMT

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