मंत्रालय में मारपीट मामले में मंत्री बडोले ने कहा- सभी आरोप बेबुनियाद

Case of assault in the Ministry is false - Balode
मंत्रालय में मारपीट मामले में मंत्री बडोले ने कहा- सभी आरोप बेबुनियाद
मंत्रालय में मारपीट मामले में मंत्री बडोले ने कहा- सभी आरोप बेबुनियाद

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश के सामाजिक न्याय मंत्री राज कुमार बडोले के मंत्रालय में स्थित कार्यालय के क्लर्क पर उस्मानाबाद के अरुण निठुरे के गैर अनुदानित आश्रमशाला को अनुदान देने के लिए पैसे लेकर काम न करने और मारपीट के आरोपों पर विपक्ष हमलावर हो गया है। जबकि मंत्री बडोले ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। बुधवार को मंत्री बडोले ने कहा कि आश्रमशाला चालक निठुरे ने मुझे पर व्यक्तिगत रूप से कोई आरोप नहीं लगाया है। उन्होंने मेरे पीए (निजी सहायक) पर पैसे मांगने का जो आरोप लगाया है वो राजनीतिक षड्यंत्र है। बडोले ने कहा कि मैं पूरे मामले की जांच कर उचित कार्यवाही करूंगा। बडोले ने कहा कि आरोप लगाने वाले निठुरे नागपुर में विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान विधानभवन के सामने आत्मदहन करने की कोशिश की थी। उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को इस बारे में नोटिस भी दिया था। 

बडोले ने कहा कि निठुरे का उस्मानाबाद का गैर अनुदानित केंद्रीय आश्रमशाला साल 2009 से अनुदान के लिए प्रलंबित है। केंद्रीय आश्रमशाला को अनुदान केंद्र सरकार देती है। राज्य में अनुसूचित जाति के 322 गैर अनुदानित केंद्रीय आश्रमशाला को अनुदान देने के संबंध में राज्य मंत्रिमंडल में प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजने की कार्यवाही शुरू है। बडोले ने कहा कि अनुदान संबंधी फाइल निठुरे के मंत्रालय में आने के एक दिन पहले गुरुवार को मेरे कार्यालय में आई थी। निठुरे ने शुक्रवार को मंत्रालय स्थित मेरे कार्यालय में आकर क्लर्क से कहा कि फाइल को तत्काल मंजूरी के लिए भेजिए। यह कहते हुए उन्होंने क्लर्क से मारपीट शुरू कर दी। बडोले ने कहा कि निठुरे की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है। यह उन्होंने खुद कहा है। बडोले ने कहा कि वास्तव में  निठुरे का आश्रमशाला अवैध है। क्योंकि सरकार से उसे कोई मंजूरी नहीं दी गई है। 

विपक्ष ने बोला हमला

विधान सभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि मंत्रालय में मंत्री कार्यालय के क्लर्क से मारपीट हुई है। आने वाले समय में मंत्रियों के सामने भी यह नौबत आ सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले मे क्लीन चिट देने के बजाय गंभीरता से जांच करानी चाहिए। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। 

क्या है मामला 

उस्मानाबाद के आश्रमशाला चालक अरुण निठुरे ने बडोले के क्लर्क पर 1 लाख 60 हजार रुपए लेने के बावजूद अनुदान की फाइल मंजूर न कराने का आरोप लगाया है। निठुरे ने इसी मामले में बडोले के पीए पर 10 लाख रुपए मांगने का आरोप भी लगाया है। 

Created On :   12 Sep 2018 4:15 PM GMT

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