कृषि विस्तार अधिकारी व पटवारी सहित तीन पर FIR, सर्वे में फर्जीवाड़ा

Case registered against four for presenting false reports in survey
कृषि विस्तार अधिकारी व पटवारी सहित तीन पर FIR, सर्वे में फर्जीवाड़ा
कृषि विस्तार अधिकारी व पटवारी सहित तीन पर FIR, सर्वे में फर्जीवाड़ा

डिजिटल डेस्क, उमरिया। शासन द्वारा पीड़ितों को राहत दिलाने विभिन्न योजनाएं चलाई जातीं हैं। किसानों की फसल नष्ट होने पर उन्हे मुआवजा दिलाया जााता है। लेकिन इस प्रक्रिया में संंबन्धित अमला निजी हितों के लिए गड़बड़झाला करने से नहीं चूकता है। जिससे कभी कभी हितग्राहियों को समुचित लाभ भी प्राप्त नहीं हो पाता है। हितग्राहीमूलक योजनाओं में अक्सर अपात्रों को लाभ दिलाए जाने की शिकायतें मिलती रहतीं हैं।

मानपुर तहसील अंतर्गत नौगवां गांव में धान की फसल सर्वे की फर्जी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसकी जांच होने और शिकायतों की पुष्टि होने पर गत दिवस पटवारी राम लाल रौतेल, कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी नर्मदा प्रसाद तिवारी तथा कोटवाल कृपाल बैगा के विरुद्ध धोखाधड़ी के आरोप में धारा 420, 409, 34 के तहत पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया है। इस मामले में ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की थी।

कलेक्टर ने तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए थे। जानकारी मिली है कि सर्वे के दौरान पीड़ित किसानों से पैसों की मांग भी की जाती थी और कई पात्र किसानों को अपनी फसल की नुकसानी दर्ज कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ी।

गत वर्ष सूखा राहत का है मामला
सन 2017 में जिले में अल्पवृष्टि के कारण जिले को सूखा क्षेत्र घोषित किया गया था और किसानों को आर्थिक रूप से सहायता पहुंचाने के लिए शासन ने उनकी फसल नुकसानी की भरपाई करने के लिए प्रशासन ने सर्वे कराया था। सर्वे में यह जानकारी एकत्र की गयी थी कि किस किसान की कितनी भूमि में कौन सी फसल बोई है और वह किस हद तक प्रभावित हुई है। इसके लिए संबंधित हलका पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, कोटवार का  दल बनाया गया था। यह प्रक्रिया पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में की गई थी और रिपोर्ट शामिल कर दिए जाने के बाद किसानों को नष्ट हुई फसल का मुआवजा दिया गया था।

यहां 68 अपात्र लोगों के जोड़े नाम
बताया जा रहा है कि मानपुर के नौगवां में जब सर्वे की प्रक्रिया शुरू हुई तो यहां संबंधित अमले द्वारा शुरू से ही हीलाहवाली की जाने लगी। अमला पहले तो खेतों में समय से पहुंचता नहीं था और फिर समय निकल जाने के बाद किसानों को बुलवाता था। दूसरी ओर उसने ऐसे लोगों के नाम सर्वे सूची में जोड़ दिए जो अपात्र थे। वे या तो किसान नहीं थे या फिर उनकी फसल प्रभावित नहीं हुई। अथवा कम प्रभावित फसल को अधिक जोड़ा। इस तरह 3 लाख 75 हजार 355 रुपए की राशि शासन से ले ली गई। इस मामले की भनक धीरे-धीरे ग्रामीणों को लग गई और उन्होने कलेक्टर से इसकी शिकायत कर जांच की मांग की।

तहसीलदार को सौंपी जांच
कलेक्टर ने प्रथम दृष्टया मामले का अवलोकन किया। इसके बाद उन्हे मामला संदेहास्पद प्रतीत होने पर उन्होने तहसीलदार मानपुर को जांच के निर्देश दिए और प्रकरण सौंप दिया। तहसीलदार ने मामले की जांच करनी शुरू की तो उनके समक्ष शिकायतों की पुष्टि होती गई। जांच समाप्त करने के पश्चात तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत कर दी और फिर कलेक्टर ने जिम्मेदार अमले पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए। जिस पर तहसीलदार ने तीन लोगों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करा दिया।

इनका कहना है
जांच के दौरान सर्वे कार्य में फर्जीवाड़ा करने के लिए तीन लोग दोषी पाए गए थे। जिनके विरुद्ध धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज करा दिया गया है।
रमेश परमार, तहसीलदार मानपुर तहसील

Created On :   30 July 2018 8:16 AM GMT

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