चारा घोटाले में लालू को साढ़े तीन साल की सजा

CBI special court to sentence Lalu Yadav in fodder scam case today
चारा घोटाले में लालू को साढ़े तीन साल की सजा
चारा घोटाले में लालू को साढ़े तीन साल की सजा

डिजिटल डेस्क, रांची। बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले मामले पर लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा का ऐलान किया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने लालू पर 5 लाख का जुर्माना भी लगाया है। लालू की सजा का ऐलान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया गया। इससे पहले लालू ने कोर्ट से अपील की थी कि, उनकी खराब सेहत और उम्र के चलते कम से कम सजा दें। लालू ने ये भी कहा है कि चारा घोटाले में मेरा कोई रोल नहीं है। राजेंद्र प्रसाद, सुनील सिन्हा, सुशील कुमार समेत 6 दोषियों को 3.5 साल की सजा सुनाई गई है। रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर को इस घोटाले से जुड़े देवघर ट्रेजरी मामले में लालू यादव समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था। देवघर कोषागार से अवैध तरीके से 89.27 लाख रुपये निकालने के मामले में यह बड़ा फैसला आया है। विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए लालू समेत सभी 16 दोषियों ने रांची की बिरसा मुंडा जेल में एक साथ बैठकर जज का फैसला सुना। 

5 जनवरी को क्या हुआ? 

5 जनवरी को सुबह से ही रांची की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में चहल-पहल शुरू हो गई थी। कोर्ट के बाहर भी लालू समर्थक पहुंच चुके थे। फैसले से पहले लालू के वकील ने कोर्ट में उन्हें कम से कम सजा देने की अपील की। इस मामले में शुक्रवार यानी 5 तारीख को कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सुनवाई हुई और लालू जेल में ही रहे। लालू के वकील ने बताया कि कोर्ट में सिर्फ 5 मिनट ही बहस चली और फिर कोर्ट ने फैसला शनिवार तक के लिए टाल दिया। अब शनिवार को लालू यादव की सजा पर फैसला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनाया जाएगा। 

4 जनवरी को क्या हुआ? 

इसके बाद 4 जनवरी के दिन फिर सुनवाई शुरू की गई। लालू यादव समेत सभी दोषी कोर्ट पहुंचे। लालू के वकील ने भी कोर्ट में गुहार लगाई कि लालू की उम्र ज्यादा है और तबियत भी खराब है, लिहाजा उन्हें कम से कम सजा दी जाए। 4 जनवरी को कोर्ट में बहस शुरू हुई और लालू का नाम नहीं आया। दरअसल, कोर्ट में अल्फाबेटिकल ऑर्डर में दोषियों को बुलाया गया। लालू का नाम L से शुरू होता है, इसलिए उस दिन उनका नाम नहीं आ पाया और केवल 5 दोषियों की सजा पर ही फैसला हो सका। इसके बाद सुनवाई को अगले दिन के लिए फिर टाल दिया गया। 

3 जनवरी को कोर्ट में क्या हुआ? 

लालू यादव समेत 16 दोषियों की सजा पर 3 जनवरी को फैसला आना था। लेकिन रांची सीबीआई कोर्ट के एडवोकेट्स ने दोपहर 1:30 बजे के बाद सुनवाई करने से मना कर दिया था। दरअसल, 3 जनवरी को एडवोकेट विंदेश्वरी प्रसाद के निधन की वजह से 2 बजे के बाद शोकसभा का एलान किया गया था। इस बात की जानकारी पहले ही कोर्ट को दे दी गई थी। एडवोकेट्स ने ये भी साफ कर दिया था कि 1:30 बजे के बाद सुनवाई नहीं की जाएगी। लिहाजा कोर्ट ने 3 तारीख की बजाय 4 तारीख को फैसला देने की बात कही।

तेजस्वी यादव समेत 4 को नोटिस

वहीं सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है। तेजस्वी के साथ-साथ रघुवंश प्रसाद सिंह, शिवानंद तिवारी और मनीष तिवारी के खिलाफ भी कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है। दरअसल, चारा घोटाले पर सीबीआई कोर्ट के फैसला खिलाफ तेजस्वी यादव समेत इन लोगों ने बयान दिए थे, जिसके बाद कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया है।
 

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23 दिसंबर को कोर्ट ने दिया था फैसला

पिछले साल 23 दिसंबर को चारा घोटाले से जुड़े देवघर ट्रेजरी केस पर रांची की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव समेत 16 लोगों को दोषी करार दिया था। जबकि जगन्नाथ मिश्रा और ध्रुव भगत समेत 6 लोगों को बरी कर दिया गया था। इस मामले में 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। 3 आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे, जबकि दो लोगों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था। इसके बाद बचे हुए 22 आरोपियों पर केस चल रहा है।

कौन-कौन हुए दोषी करार? 

23 दिसंबर को सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने 16 लोगों को दोषी करार दिया है। इसमें बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, जगदीश शर्मा, आरके राणा, बेक जूलियस, आईएएस ऑफिसर फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद, कृष्ण कुमार, ट्रजरी ऑफिसर सुबीर भट्टाचार्य को दोषी बनाया गया था। इसके अलावा त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुशील कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा, राजा राम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय अग्रवाल, ज्योति कुमार झा और सुनील गांधी को भी इस मामले में दोषी करार दिया गया था।

कौन-कौन हुए थे बरी? 

इस मामले में 22 में 6 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। इसमें बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व पीएसी चेयरमैन ध्रुव भगत, पूर्व आईआरएस ऑफिसर एसी चौधरी, चारा सप्लायर सरस्वती चंद्रा और सदानंद सिंह और पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद को बरी कर दिया गया था।

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क्या है देवघर ट्रेजरी मामला? 

दरअसल, बिहार सरकार ने 1991 से 1994 तक मवेशियों की दवा और चारा के लिए सिर्फ 4 लाख 7 हजार रुपए पास किए थे, लेकिन देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 89,04,413 रुपए निकाल लिए गए थे। चारा घोटाले तकरीबन 950 करोड़ रुपए का है और इसमें 7 मामले दर्ज हैं। देवघर ट्रेजरी केस में ही सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर को फैसला सुनाया था।

क्या है चारा घोटाला? 

चारा घोटाला पहली बार साल 1996 में सामने आया, जब बिहार के पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ था। उस वक्त लालू प्रसाद यादव की सरकार थी। ये घोटाला तकरीबन 950 करोड़ रुपए का है। बता दें कि चारा घोटाले में 7 मामले हैं और इन सभी मामलों में लालू प्रसाद यादव आरोपी हैं। इसमें से चाईबारा ट्रेजरी केस में लालू को पहले ही 5 साल की सजा हो चुकी है और वो जमानत पर रिहा हैं। अब देवघर ट्रेजरी केस में लालू दोषी करार दिए गए हैं, ऐसे में उनका जेल जाना फिर से तय है।

लालू को गंवानी पड़ी थी कुर्सी

चारा घोटाला सामने आने के बाद लालू प्रसाद यादव 1997 में पहली बार जेल गए, तो उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी ती। हालांकि, इसका उनकी पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बना दिया था। आखिरी बार लालू प्रसाद यादव अक्टूबर 2013 में इस मामले में जेल गए थे, जब कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा लालू की लोकसभा सदस्यता छीन ली गई और उन पर 11 साल तक कोई भी चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया। हालांकि बाद इस मामले में बाद में लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। 

Created On :   4 Jan 2018 3:54 AM GMT

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