जगह के लिए तरस रहे CGST को 6 महीने से CPWD के जवाब का इंतजार 

CGST commissionerate is waiting for building, waiting PWD response
जगह के लिए तरस रहे CGST को 6 महीने से CPWD के जवाब का इंतजार 
जगह के लिए तरस रहे CGST को 6 महीने से CPWD के जवाब का इंतजार 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जगह के लिए तरस रहा सेंट्रल जीएसटी कमिश्नरेट पिछले 6 महीने से केंद्रीय लोक कर्म विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) नई दिल्ली के जवाब का इंतजार कर रहा है। सीपीडब्ल्यूडी नई दिल्ली ने नागपुर कार्यालय को पत्र लिखकर इस संबंध में अपने विभाग से जरूरी कमेंट मांगा था, जिसे कोई प्रतिसाद नहीं दिया गया। 1988 में बनी सीजीएसटी, सेंट्रल एक्साइज की इमारत काम व स्टाफ के हिसाब से कम पड़ रही है।

दिल्ली नहीं भेजा जवाब
प्रधान मुख्य आयुक्तालय (सीजीएसटी, सेंट्रल एक्साइज एण्ड कस्टम्स) में आयुक्त संजय राठी ने 3 जुलाई 2018 को लैंड डेवलपमेंट आफिसर (नई दिल्ली) अमित कटारिया को पत्र लिखकर विभाग के लिए सीपीडब्ल्यूडी के बंगला नं. 21, बंगला नं. 17 ए व 17 बी की मांग की थी। लैंड डेवलपमेंट आफिसर ने सीपीडब्ल्यूटी नागपुर को 1 अक्टूबर 2018 को पत्र भेजकर इस संबंध में कमेंट मांगा था। सीपीडब्ल्यूडी नागपुर के मुख्य आयुक्तालय ने अभी तक इसंबंध में अपना कमेंट या जवाब नई दिल्ली स्थित कार्यालय नहीं भेजा। जीएसटी लागू होने के बाद विभाग का काम काफी बढ़ गया है। इसी तरह यहां पहले करीब 550 अधिकारी-कर्मचारी थे, जो बढ़कर करीब 700 हो गए हैं। काम व स्टाफ बढ़ने से 1988 में बना वर्तमान सीजीएसटी भवन कम पड़ रहा है। विभाग ने सेमीनरी हिल्स में खाली पड़े सीपीडब्ल्यूडी के इन बंगलों को विस्तारित कार्यालय व क्वार्टर के लिए मांगा था। देश को राजस्व देने वाले विभाग को दूसरा सरकारी महकमा कितनी गंभीरता से लेता है, इसका यह बेहतरीन नमूना माना जा सकता है। 

अधिकारियों को बैठने की पर्याप्त जगह नहीं 
सीजीएसटी, सेंट्रल एक्साइज एण्ड कस्टम्स में अधिकारियों को बैठने की पर्याप्त जगह उपलब्ध नहीं है। वर्तमान इमारत में अधिकारियों के लिए पर्याप्त चेंबर नहीं है। प्रधान मुख्य आयुक्तालय में भारतीय राजस्व सेवा व सहायक आयुक्त स्तर के दर्जनों अधिकारी है। इसीतरह अधीक्षक स्तर के 60 से ज्यादा अधिकारी है। एक-एक चेंबर में तीन-तीन अधिकारी बैठने को मजबूर है। 

आरटीआई से खुली पोल 
आरटीआई ने सीपीडब्ल्यूडी की सुस्ती की पोल खोल दी। विभाग को लैंड डेवलपमेंट आफिसर नई दिल्ली से जवाब नहीं मिलने पर आरटीआई एक्टिविस्ट संजय थुल ने आरटीआई में जवाब मांगा। जवाब मिला कि 3 जुलाई को सीजीएसटी द्वारा भेजे गए पत्र को करीब तीन महीने बाद कमेंट के लिए सीपीडब्ल्यूडी नागपुर भेजा गया और नागपुर से अभी तक कमेंट नहीं मिल सका है। श्री थुल का कहना है कि काम के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने से अधिकारी त्रस्त है और सीपीडब्ल्यूडी लापरवाही में मस्त होने की भूमिका में है। 

Created On :   8 Feb 2019 7:53 AM GMT

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