27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती, एमपी पीएससी सहित अन्य को नोटिस

Challenge to constitutionality of obc reservation, notice to mppsc
27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती, एमपी पीएससी सहित अन्य को नोटिस
27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती, एमपी पीएससी सहित अन्य को नोटिस

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश में लागू 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अंजुली पालो की युगल पीठ ने राज्य शासन, प्रमुख सचिव विधि व विधायी कार्य, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग और एमपी पीएससी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 9 सितंबर को नियत की गई है।

मप्र में 14 प्रतिशत की जगह 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू कर दिया

भोपाल निवासी प्रत्युश द्विवेदी, टीकमगढ़ निवासी पारस जैन, मुरैना निवासी नीतेश जैन और छिंदवाड़ा निवासी रामसुंदर रघुवंशी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वे एमपी पीएससी द्वारा आयोजित राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे है। राज्य सरकार ने 17 जुलाई 2019 से मप्र में 14 प्रतिशत की जगह 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू कर दिया गया है। इसके पूर्व मध्यप्रदेश में एससी के लिए 16 प्रतिशत, एसटी के लिए 20 प्रतिशत और ओबीसी के लिए 14 प्रतिशत यानी 50 प्रतिशत आरक्षण लागू था। याचिका में कहा गया कि ओबीसी आरक्षण 14 से 27 प्रतिशत करने और 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण लागू करने से मध्यप्रदेश में आरक्षण की सीमा बढ़कर 73 प्रतिशत हो गई है।

सभी नागरिकों को समानता का अधिकार

याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया गया है। मध्यप्रदेश में दिया जा रहा 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण समानता के अधिकार के विरूद्ध है। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट कर दिया कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मप्र में लागू 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को असंवैधानिक घोषित किया जाए। प्रारंभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
 

Created On :   10 Aug 2019 8:49 AM GMT

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