डॉक्टरी की पढ़ाई अब ज्यादा व्यावहारिक होगी, इसलिए पाठ्यक्रम में बदलाव

Changes made in curriculum to make doctors studies practical
डॉक्टरी की पढ़ाई अब ज्यादा व्यावहारिक होगी, इसलिए पाठ्यक्रम में बदलाव
डॉक्टरी की पढ़ाई अब ज्यादा व्यावहारिक होगी, इसलिए पाठ्यक्रम में बदलाव

डिजिटल डेस्क जबलपुर । एलोपैथी विधा में चाहे एमबीबीएस हो या फिर प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति में बीएएमएस जैसे डिग्री कोर्स सभी तरह के डॉक्टरी कोर्स को अब केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्रालय ज्यादा व्यावहारिक बनाने जा रहा है। पाठयक्रमों में वर्षों बाद इस तरह का बदलाव किया जा रहा है कि पढ़ाई में इन डिग्री कोर्स में प्रवेश के साथ ही भावी डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया को जल्द समझ सकें।  राज्य सहित देशभर के  मेडिकल और आयुष कॉलेजों में  कोर्स में नए विषय जोड़ने का उद्देश्य यही है कि व्यावहारिक रूप में भविष्य के डॉक्टर्स खरे उतर सकेंगे। 

मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग भी इसको लेकर  प्रारंभ कराई जा चुकी है, यह 2019 तक पूरी होगी जबकि आयुष ( आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी व नैचरोपैथी) कॉलेजों में शिक्षकों को प्रशिक्षण अगस्त 2018 से प्रारंभ होगा। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज मे संचालित एमबीबीएस पाठ्यक्रम बीस साल से भी ज्यादा पुराना है, समय की मांग भी है कि बीमारियों के ज्यादा प्रतिरोधी रूप में उभकर सामने आने से नए शोधों के साथ नई चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था की भी इसमें आवश्यकता है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इण्डिया लगातार इसमें बदलाव के साथ नए बिंदुओं को जोड़ने पर जोर दे रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसको लेकर सहमति दे चुका हैें। 

एमबीबीएस में योग 
एमबीबीएस में योग और आयुर्वेद के कुछ ज्यादा उपयोगी अंश जोड़े जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य यही है कि चिकित्सक प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति और योग के महत्व को समझकर उसको स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ें। मेडिसिन, फार्मोकोलॉजी मटेरिया मेडिको व हाईजिन विषय में जोड़ा जाएगा। आयुष विधा में कायचिकित्सा, द्रव्यगुण विज्ञान व स्वस्थवृत में नए कोर्स जोड़ा जाना है। 

अभी इतने हैं डिग्री कॉलेज 
प्रदेश में 18 मेडिकल कॉलेज समेत देशभर में 460 मेडिकल कॉलेज हैं, वहीं प्रदेश में 54 आयुष कॉलेजों समेत देशभर में 710 आयुष कॉलेज संचालित हैं। भोपाल, ग्वालियर, रीवा, उज्जैन, जबलपुर, इंदौर, बुरहानपुर, रतलाम, मंदसौर के साथ विभिन्न शहरों में मेडिकल व आयुष के शासकीय व निजी आयुष कॉलेज संचालित हैं। 

पहले साल से जुड़ेंगे मरीज से 
जानकारों का कहना है कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ आयुष मंत्रालय यह कोशिश कर रहा है कि मेडिकल व आयुष कॉलेजों से प्रायोगिक व व्यावहारिक नॉलेज वाले डॉक्टर्स निकलें जो ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में न सिर्फ  चिकित्सकीय कार्य में पारंगत हों, बल्कि अपनी क्लीनिक ढंग से चलाने के साथ ही पीजी करने की आवश्यकता न पड़े।  नए पाठ्यक्रम के अनुसार अब प्रथम वर्ष से ही छात्र मरीजों को सीनियर डॉक्टर्स के मार्गदर्शन में देखने लगेंगे। यह भी इस दिशा में बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।  

Created On :   14 May 2018 8:51 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story