मुख्य सचिव मदान को होईकोर्ट से मिली राहत, चुनाव ड्यूटी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची आंगनवाडी कर्मी

Chief Secretary Madan gets relief from Bombay High court
मुख्य सचिव मदान को होईकोर्ट से मिली राहत, चुनाव ड्यूटी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची आंगनवाडी कर्मी
मुख्य सचिव मदान को होईकोर्ट से मिली राहत, चुनाव ड्यूटी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची आंगनवाडी कर्मी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव यूपीएस मदान को राहत प्रदान की है। मामला बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स (बीकेसी) की 20 एकड़ जमीन को नियमों के विपरीत एफएसआई प्रदान करने का है। जिससे भवन निर्माता को काफी फायदा पहुंचा था। इस प्रकरण को लेकर मुंबई निवासी प्रताप तेली ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कोर्ट में शिकायत की थी। शिकायत में दावा किया गया था कि मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) के आयुक्त रहते श्री मदान ने सीआरजेड नियमों के विपरीत जाकर 20 एकड जमीन को अवैध तरीके से ज्यादा एफएसआई प्रदान की थी। साथ ही नियमों के खिलाफ जमीन का स्वरुप भी बदला गया। जिससे बिल्डर को करोड़ो रुपए का फायदा मिला। इस शिकायत पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसीबी को मामले की जांच का निर्देश दिया था। एसीबी कोर्ट की ओर से जांच के संबंध में दिए गए इस आदेश के खिलाफ मदान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में एसीबी कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी। सोमवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान श्री मदान की ओर से पैरवी कर रहे डेरिस खंबाटा ने कहा कि एसीबी कोर्ट का आदेश खामीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एसीबी कोर्ट ने आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर जांच का आदेश दे दिया है। इसके अलावा आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में हुए संसोधन के बाद सक्षम प्राधिकरण की अनुमति के बिना मैजिस्ट्रेट कोर्ट सीआरपीसी की धारा 156(3) के तरह लोकसेवक के खिलाफ जांच का निर्देश नहीं दे सकता। इस दौरान शिकायतकर्ता तेली के वकील आदित्य प्रताप सिंह ने कहा कि एसीबी कोर्ट के आदेश में खामी नहीं है। भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में जांच की शुरुआत के लिए मंजूरी की जरुरत नहीं होती। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने एसीबी कोर्ट की ओर से दिए गए जांच के आदेश को खारिज कर दिया और राज्य के मुख्यसचिव मदान को राहत प्रदान की। 

चुनाव ड्यूटी के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची आंगनवाडी कर्मी - उच्च न्यायालय ने आयोग से मांगा जवाब 

इसके अलावा बांबे हाईकोर्ट ने आंगनवाडी सेविकाओं व सहायिका को चुनावी ड्यूटी में लगाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। महाराष्ट्र राज्य आंगनवाडी कर्मचारी संघ ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत आंगनवाडी सेविकाओं व सहायिकाओं को चुनावी ड्यूटी में नहीं लगाया जा सकता है। याचिका के मुकाबिक चुनाव आयोग की नियम पुस्तकी इसकी इजाजत नहीं देती है। याचिका में कहा गया है आंगनवाडी सेविकाएं मुख्य रुप से एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस)  के तहत 6 साल से कम उम्र के बच्चों को पोषक अहार प्रदान करने सहित गर्भवति महिलाओं की देखरेख की जिम्मेदारी निभाती हैं। आईसीडीएस स्कीम मुख्य रुप से राज्य के ग्रामीण व आदिवासी इलाकों में लागू किया गया है। ऐसे में आंगनवाडी सेविकाओं को चुनावी ड्यूटी में लगाना न सिर्फ अनुचित होगा बल्कि नियमों के विपरीत होगा। सोमवार को न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस शंकलेचा की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि चुनाव अायोग से हम जानना चाहते हैं कि आयोग की मैन्यूअल में लिखी बाते सिफारिसी हैं या अनिवार्य? खंडपीठ ने इस संबंध में चुनाव आयोग की वकील दृष्टि शाह को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है और मामले की सुनवाई 22 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। 

Created On :   22 April 2019 2:48 PM GMT

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