एक से अधिक भाषा जानने वाले बच्चे बनते हैं होशियार और मल्टीटास्किंग

Children who know more language are smarter and multitasking
एक से अधिक भाषा जानने वाले बच्चे बनते हैं होशियार और मल्टीटास्किंग
एक से अधिक भाषा जानने वाले बच्चे बनते हैं होशियार और मल्टीटास्किंग


डिजिटल डेस्क । आज के वक्त में पेरेंट्स अपने बच्चे को मल्टी टास्किंग बनाने में जुटे हुए हैं। पढ़ाई के साथ-साथ वो स्पोर्ट्स, डांस, म्यूजिक के अलावा उन्हें पढ़ाई में अव्वल रहने के लिए भी एक्स्ट्रा कैरिकुलर स्किल्स सिखाई जा रही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिन बच्चों को एक से अधिक भाषाएं सिखाने से वो अपेक्षा से कहीं ज्यादा होशियार और मल्टीटास्किंग बन जाता है। ये सिर्फ एक मिथ नहीं बल्कि दावा है, जो एक अध्ययन में किया गया है। एक स्टडी के मुताबिक जो बच्चे एक से ज्यादा भाषा जानते हैं वो मल्टीटास्किंग यानि एक समय पर कई जिम्मेदारियां निभाने में सक्षम होते हैं। 

 

 

"चाइल्ड डेवलपमेंट" नाम की पत्रिका में छपी इस स्टडी में कहा गया है कि बड़ी तादाद में बच्चों में ऑटिजिम स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) होता है। इस परेशानी से ग्रस्त बच्चों के लिए अच्छा है कि उन्हें कम से कम एक अतिरिक्त भाषा सिखाई जाए। आपको बता दें कि इस तरह की दिक्कत से ग्रस्त बच्चे सामाजिक मेलजोल करने में कमजोर होते हैं यानि किसी से आसानी से बातचीत नहीं करते। इसके साथ ही उनका व्यवहार और उनकी इच्छाएं बदलती रहती हैं। इस तरह के बच्चों के अलावा भी चंचल, शरारती और जल्दी में रहने वाले बच्चों को इसका काफी फायदा होता है। वो अपनी एनर्जी और क्रिएटिविटी को ज्यादा बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर पाते हैं।

 

 

कैसी की गई स्टडी?

इस स्टडी के लिए 6 से 9 साल की उम्र के बच्चों के दो ग्रुप बनाए गए। ये सभी बच्चे एएसडी से ग्रस्त थे, लेकिन एक ग्रुप में मौजूद 20 बच्चे ऐसे थे जिन्हें जो बाइलिंगुअल यानि दो भाषाएं जानते थे, वहीं दूसरे ग्रुप के 20 बच्चे सिर्फ एक भाषा जानते थे।

 इसके बाद दोनों ग्रुप के बच्चों को पहले कंप्यूटर स्क्रीन पर नीले खरगोश और लाल नाव की आकृतियों में फर्क करने को कहा गया। इसके बाद उन्हें इन दोनों चीजों को बनावट के आधार पर फर्क करने को कहा गया। दोनों कार्यों के बाद देखा गया कि एएसडी से ग्रस्त उन बच्चों ने दो अलग-अलग किस्म के कार्यों को ज्यादा अच्छे से किया, जिन्हें दो भाषाएं आती थीं।

 

 

और क्या होता है फायदा?

वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे बच्चों को प्रोफेशनल जिंदगी को बेहतर बनाने का एक तरीका है कि उन्हें घर में बोली जाने वाली भाषा के अलावा एक अतिरिक्त भाषा भी सिखाएं। इस शोध से जुड़ी एक वैज्ञानिक ने कहा कि अक्सर मां-बांप को ये बताया कि दूसरी भाषा सीखने से उनके बच्चों की सामाजिक मेलजोल की दिक्कत और बढ़ जाती है, लेकिन ये गलत है।

Created On :   18 Jan 2018 4:11 AM GMT

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