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बच्चों के यौन उत्पीड़न मामले में हाईकोर्ट ने मौलाना को जमानत देने से किया इंकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों का यौन उत्पीड़न करने के मामले में दोषी पाए गए एक मौलाना को बांबे हाईकोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया है। निचली अदालत ने मौलाना को 20 साल की सजा सुनाई है। सजा के खिलाफ मौलाना ने हाईकोर्ट में अपील की है। इस अपील के साथ मौलाना ने एक आवेदन भी दायर किया है जिसमे मौलाना ने कहा है कि जब तक उसकी अपील पर सुनवाई नहीं हो जाती है तब तक उसे जमानत पर रिहा किया जाए।
अावेदन में मौलाना नासिर हुसैन समशेर अली हासमी ने दावा किया था कि उसके मामले से जुड़े मुकदमे का ज्यादातर हिस्सा निचली अदालत में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए सुना गया। इस दौरान तीन मौके पर उसके वकील कोर्ट में मौजूद नहीं थी। पुलिस ने इस प्रकरण के 13 लोगों की गवाही नहीं कराई है। गवाह के रुप में पीड़ित बच्चों के पिता को भी नहीं बुलाया है। इसके अलावा मौलाना ने कहा था कि वह 2015 से इस मामले में जेल में बंद है।
जस्टिस एएम बदर के सामने मौलाना के आवेदन पर सुनवाई हुई।
इस दौरान सरकारी वकील ने मौलाना की जमानत की विरोध किया। इसके साथ ही जस्टिस को बताया कि मौलाना किस तरह से बच्चों को अपने लैपटाप में अश्लील फिल्मे दिखाता था और उनका यौन उत्पीड़न करता था। मामले से जुड़े सबूतों व तथ्यों पर गौर करने के बाद जस्टिस ने कहा कि आरोपी पर काफी गंभीर मामले में दोषी पाया गया है। जहां तक बात मामले से जुड़े कई गवाहों को गवाही के लिए न बुलाने का है तो यदि पुलिस के पास आरोपी पर लगे आरोप को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है तो ज्यादा गवाह बुलाने की जरुरत नहीं है।
गवाह को न बुलाना आरोपी के बचाव का आधार नहीं हो सकता। सुनवाई के दौरान जस्टिस ने पीड़ित बच्चों के बयानों पर भी गौर किया और कहा कि हमारे सामने इन बच्चों के बयान पर अविश्वास जताने का कोई आधार नहीं है। जस्टिस ने कहा कि भले ही आरोपी काफी समय से जेल में लेकिन यह उसके जमानत का आधार नहीं हो सकता है। यह कहते हुए जस्टिस ने मौलाना के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।
Created On :   13 Sep 2018 4:19 PM GMT