कर्ज के बोझ तले दबा पाकिस्तान, टेंशन बना चीन का CPEC प्रोजेक्ट
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- 700 किलोमीटर के कॉरिडोर में अधूरे रोजगार और नागरिकों की जिंदगी में सेना के बहुत ज्यादा दखल की वजह से रोष है।
- चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की वजह से पाकिस्तान के स्थानीय लोगों में असंतोष फैला हुआ है।
- पाकिस्तान एक तरफ तो चीन के कर्ज तले दबा हैं
- वहीं दूसरी तरफ CPEC उसके लिए मुसीबत का सबब बन गया है।
डिजिटल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान एक तरफ तो चीन के कर्ज तले दबा हैं, वहीं दूसरी तरफ CPEC उसके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। अतंर्राष्ट्रीय संकट समूह (आईसीजी) के अनुसार चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) की वजह से पाकिस्तान के स्थानीय लोगों में असंतोष फैला हुआ है। उनमें 2,700 किलोमीटर के कॉरिडोर में अधूरे रोजगार और नागरिकों की जिंदगी में सेना के बहुत ज्यादा दखल की वजह से रोष है। आईसीजी के नीति निदेशक रिचर्ड एटबुडका के अनुसार, "ग्वादर के लोगों ने अतीत में सेना के खिलाफ आक्रमक कार्यों को जन्म दिया था। अब वह सेना की अत्यधिक मौजूदगी से परेशान हैं।"
चीन को ग्वादर पोस्ट से फायदा
बता दें कि ग्वादर पोस्ट सीपीईसी का मुख्य हिस्सा है। चीन को उम्मीद है कि इस पोस्ट के जरिए उसे अरब सागर तक पहुंच मिल जाएगी। चीन यहां से अपने सामान को निर्यात करेगा। यह क्षेत्र अशांत बलूचिस्तान प्रांत में पड़ता है जहां के लोग पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह करते रहते हैं। इसी कारण यहां सेना की अत्यधिक उपस्थिति है। पाक राजनीतिज्ञों को मजबूरन इस क्षेत्र में बढ़ते असंतोष की तरफ ध्यान देना होगा, क्योंकि यह रिपोर्ट चुनाव से चंद हफ्ते पहले आई है। 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव भी होने हैं।
विद्वेष हो सकता है पैदा
ब्रसेल्स की एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि डॉलर 62 बिलियन वाले सीपीईसी प्रोजेक्ट की वजह से राजनीतिक परेशानी और विद्वेष पैदा हो सकता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को साफ तौर से सुधार की जरुरत है। पाक पहले ही चीन से काफी कर्च ले चुका है, जिस कारण वहां की अर्थव्यवस्था काफी गिर गई है। पड़ोसी देश की राजनीतिक चिंता, बड़े पैमाने पर सामाजिक बंटवारा और पाकिस्तान में संघर्षों का स्रोत बन रहा है। वहीं चीन हर उस घटना को दूर करने के लिए तैयार है जो इस प्रोजेक्ट के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं।
एक पाकिस्तानी अखबार में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा कम होकर 9.66 अरब डॉलर हो गई, जो कि मई 2017 में 16.4 अरब डॉलर थी। हालांकि 2017 के मुकाबले देखें तो अप्रैल 2016 तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 18.1 अरब डॉलर था। इस कर्ज के साथ ही चीन से पाकिस्तान इस वित्तीय वर्ष में पांच अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज ले चुका है। इस वित्त वर्ष के पहले 10 महीने में चीन पाकिस्तान को 1.5 अरब डॉलर कर्ज दे चुका है। इसी वक्त पाकिस्तान ने कई अन्य व्यावसायिक बैंकों से 2.9 अरब डॉलर के कर्ज लिए हैं और इनमें से ज्यादातर बैंक चीन के हैं।
आईसीजी को सीपीईसी पर संदेह
रिपोर्ट के अनुसार इस कॉरिडोर के कारण लोगों में एंटी-चीन भावनाएं पनप रही हैं। इसके पीछे कारण है कि प्रोजेक्ट को बनाने के लिए बिना पूर्व योजना बनाए कुछ समुदायों को विस्थापित करना पड़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चरमपंथियों ने सीपीईसी से जुड़े होने की वजह से दर्जनों पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया। पाकिस्तान और चीन के नेता बार-बार यह दावा करते आए हैं कि सीपीईसी से पाकिस्तान को आर्थिक फायदा पहुंचेगा। हालांकि आईसीजी ने इस पर संदेह जताया है। आईसीजी को इस बात पर संदेह है कि सीपीईसी में पाकिस्तान को आर्थिक फायदा पहुंचाने की क्षमता है।
Created On :   5 July 2018 1:43 PM GMT