जनता की कमाई खा गई चिटफंड कम्पनी, पुलिस रिपोर्ट नहीं लिख रही

Chitfund company Vishwamitras India family in satna
जनता की कमाई खा गई चिटफंड कम्पनी, पुलिस रिपोर्ट नहीं लिख रही
जनता की कमाई खा गई चिटफंड कम्पनी, पुलिस रिपोर्ट नहीं लिख रही

डिजिटल डेस्क, सतना। मैहर और आसपास के हजारों लोगों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई को बचत के नाम पर चिटफंड कंपनी के लोग ठग कर बैठ गए। फिर भी विश्वमित्र इंडिया परिवार पर हाथ डालने में पुलिस को आखिर पसीना क्यों आ रहा है? प्रशासनिक अफसर भी आखिर इतनी उदासीनता कलेक्टर के निर्देश और सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइड लाइन के बावजूद क्यों दिखा रहे हैं? आखिर क्यों नहीं लगातार मिल रही शिकायतों के बावजूद मैहर में ठगी का यह रैकेट चलने वालों के खिलाफ शिकायत तक दर्ज हो पा रही?

ये तमाम सवाल पिछले कई दिनों से सुर्खियों में छाई चिट फंड कम्पनी विश्वमित्र इंडिया परिवार को लेकर पुलिस और प्रशासन द्वारा दिखाई जा रही हद दर्जे की उदासीनता के कारण उठ खड़े हुए हैं। मैहर में अपने भाजपा नेता भाई के रसूख का इस्तेमाल कर गरीबों के खून पसीने की कमाई ठग कर बैठे अनिल दरियानी और उसकी गैंग के सदस्यों के खिलाफ तमाम लिखित शिकायतें पुलिस के पास पहुंच चुकी हैं।

यूं भी कम्पनी के ठगी के कारनामे पहले से भी सुर्खियों में छाये थे। तब तक पुलिस यह कह कर पल्ला झाड़ती रही थी कि उसके पास कोई शिकायतकर्ता नहीं आया है। मगर अब जब रवि गुप्ता ने अपने 2.5 लाख और अरुण चौरसिया ने अपने 59 हजार रुपए का भुगतान अनिल दरियानी उर्फ नीलू द्वारा न किये जाने की लिखित शिकायत भी कर दी, तब भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे ही बैठी है। उधर ऐसी ही स्थिति प्रशासनिक अफसरों की भी है।

परदा डालने की कार्रवाई

सूत्रों ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर जांच पड़ताल हुई थी जिसके बाद एसडीएम को आगे की कार्यवाही करनी थी। सुप्रीम कोर्ट के भी स्पष्ट निर्देश हैं कि चिट फंड कंपनियों पर निगरानी रखी जाये और जनता का धन हड़पे जाने के मामलों को गंभीरता से लिया जाये। लेकिन मैहर में इन सब निर्देशों और नियम कायदों को शायद ताक पर रख कर ठगी करने वाले गिरोह को खुले आम घूमने और अपने रसूख के बूते बड़े बड़े दावे कर गरीबों को पहले जख्म देने और फिर उन पर नमक छिड़कने की खुली छूट दे दी गई है। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों इस तरह की कंपनियों की जानकारी मांगे जाने पर मैहर से निरंक लिख कर भेज दिया गया और विश्वमित्र परिवार के गोरखधंधे पर सरकारी तौर पर पर्दा डाल दिया गया।

मालिक बंद खाते सीज फिर भी करते रहे वसूली

कलकत्ता की इस कम्पनी का फर्जीवाड़ा मैहर और आसपास के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि देश के कई अन्य शहरों, जिलों में भी चल रहा था जहां इसे पहले ही पकड़ लिया गया था। मालिक को जेल की सलाखों के पीछे भी भेजा जा चुका था और कम्पनी के खाते भी सीज कर दिए गए थे। इस सब की खबर मैहर की भोली-भाली जनता को भले नहीं थी, लेकिन अनिल दरियानी और उसकी गैंग के और लोग सब जानते थे। उन्होंने सभी को अंधेरे में रख कर अपना कारोबार तब तक जारी रखा जब तक कि मैच्योरिट मांगने वाले लोग इनके टालमटोल से आजिज नहीं आ गए। अनिल दरियानी की कम्पनी में हैसियत जोनल मैनेजर की थी। अब रकम वापस मांगने वालों को वह दो टूक कह रहा है कि जाओ अपने पैसे मालिक से मांगो। उसकी इन हरकतों को पुलिस और प्रशासन की पर भी शह देने का आरोप लग रहा है।

Created On :   3 July 2017 6:29 PM GMT

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