चित्रकूट अपहरण कांड : मामा-भांजे ने मिलकर रची थी जानलेवा साजिश

Chitrakoot twins priyansh and shreyansh kidnapping and murder case
चित्रकूट अपहरण कांड : मामा-भांजे ने मिलकर रची थी जानलेवा साजिश
चित्रकूट अपहरण कांड : मामा-भांजे ने मिलकर रची थी जानलेवा साजिश

डिजिटल डेस्क,सतना। फिरौती के लिए 6 साल के जुड़वा भाइयों प्रियांश और श्रेयांश को चित्रकूट के जानकीकुंड से अगवा करने की जानलेवा साजिश बच्चों के ट्यूशन टीचर रामकेश यादव और उसके भांजे अपूर्व यादव उर्फ पिंटू उर्फ पिंटा ने मिल कर रची थी? सवाल ये था कि आखिर शुरुआती जोखिम कौन उठाए? इन्हीं लोगों ने करोड़ों के लाभ का लालच देकर पदमकांत शुक्ला और राजू द्विवेदी को भी अपनी साजिश में शामिल कर लिया। पुलिस सूत्रों की  मानें तो 12 फरवरी को एसपीएस स्कूल के कैंपस से जुड़वा भाइयों को दिन दहाड़े गन प्वाइंट पर पदमकांत शुक्ला और राजू द्विवेदी ने उठाया था? दोनों ने मुंह बांध रखे थे।
लाल तेल का फुटकर विक्रेता है पिंटा
बच्चों के अपहरण और हत्या में शामिल 24 वर्षीय आरोपी अपूर्व यादव उर्फ पिंटा उर्फ पिंटू ,ग्रामोदय विश्वविद्यालय में एमएससी कृषि बायो केमिस्ट्री द्वितीय सेमेस्टर
का छात्र है। सूत्रों ने बताया कि पिंटा, दर्द निवारक तेल के कारोबारी बृजेश रावत से लाल तेल लेकर फुटकर व्यापार भी किया करता था। जबकि इसी पिंटा का मामा रामकेश यादव पिता रामशरण यादव, प्रियांश और श्रेयांश को ट्यूशन पढ़ाया करता था। आरोपी रामकेश ने ग्रामोदय से बीएड की डिग्री ली थी। इस तरह से मामा और भांजे के शैतानी दिमाग में खतरनाक साजिश पनपी। रामकेश मूलत: यूपी के छेरा (बांदा) और पिंटा हमीरपुर के गुरदहा का रहने वाला है।  
 2 दिन चित्रकूट में आलोक के घर पर थे बच्चे :--
बच्चों को अगवा करने के बाद पदम और राजू ग्लैमर बाइक से पूर्व योजना के तहत आलोक तोमर उर्फ लकी के घर पहुंचे। किराए का ये घर घटना स्थल से दक्षिण पश्चिम में  महज डेढ़ किलोमीटर के फासले पर जानकीकुंड के पीछे स्थित है। क्लोरोफार्म से बेसुध प्रियांश और श्रेयांश को इसी घर में 2 दिन तक रखा गया। उल्लेखनीय है, जानकीकुंड निवासी पदम जहां ग्रामोदय से बीटेक आईटी का ड्रॉप आउट स्टूडेंट था, वहीं आरोपी राजू द्विवेदी एमएससी एग्रोनॉमी सेकंड सेमेंस्टर का छात्र होने के कारण पहले से ही पिंटा उर्फ अपूर्व का साथी था। पिंटा ने ही राजू की पहचान पदम से कराई थी। एक अन्य आरोपी आलोक सिंह तोमर उर्फ लकी भी राजू का साथी। ग्रामोदय का ही छात्र रह चुका लकी मूलत: बिसंडा थाने के तेंदुरा का रहने वाला है।  
 14 फरवरी को खोही के रास्ते पहुंचे अतर्रा  
अपहरणकर्ताओं के दुस्साहस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 14 फरवरी को तड़के दूसरी बाइक से बच्चों को लेकर राजू द्विवेदी और आलोक तोमर पीलीकोठी और खोही के रास्ते से भरतकूप और फिर अतर्रा पहुंचे। जबकि पदमकांत अपहरण में प्रयुक्त अपनी ग्लैमर बाइक की नंबर प्लेट बदल कर जानकी कुंड स्थित घर आ गया। जबकि प्रियांश और श्रेयांश का ट्यूटर रामकेश यादव ने वारदात के बाद भी बृजेश के घर आता जाता रहा। आरोप हैं कि इसी बहाने वो  पीडि़त परिवार के घर की पल- पल की जानकारी अपने आरोपी साथियों को देता रहा और दोनों राज्यों की पुलिस सोती रही।
 कोतवाली से 100 मीटर पर नया ठिकाना
पुलिस के इन्हीं सूत्रों ने बताया कि अपहरण की वारदात में शामिल इन बदमाशों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत अतर्रा में कोतवाली से महज 100 मीटर के फासले पर एक पान वाले का मकान ये कह कर किराए पर ले रखा था कि उनका मकान मालिक मीट-मुर्गा नहीं बनाने देता है। ये मकान स्टेट हाइवे पर अतर्रा का भीड़ भरा इलाका है। किराए का मकान लेने में राजू और लकी ने अहम भूमिका निभाई थी।

 

Created On :   27 Feb 2019 7:56 AM GMT

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