राजभाषा नीति को लेकर प्रथम पुरस्कार पाने वाले बैंक जारी नहीं करते हिंदी परिपत्र

Circular in Hindi not issued by award winning banks
राजभाषा नीति को लेकर प्रथम पुरस्कार पाने वाले बैंक जारी नहीं करते हिंदी परिपत्र
राजभाषा नीति को लेकर प्रथम पुरस्कार पाने वाले बैंक जारी नहीं करते हिंदी परिपत्र

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सरकार की राजभाषा नीति के उत्कृष्ट कार्यान्वयन के लिए प्रथम पुरस्कार हासिल कर वाहवाही लूटने वाली सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने हिंदी में परिपत्र जारी करना ही बंद कर दिया है। मामले में संपर्क करने पर बैंक के अधिकारी इससे इनकार करते हैं, लेकिन सबूत के तौर पर परिपत्र दिखाने की मांग वे व्यस्त होने का बहाना देकर खारिज कर देते हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैंक ने शिक्षा से जुड़े कर्ज का परिपत्र हिंदी में नहीं जारी किया। वहीं नरिमन पॉइंट स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के हिंदी विभाग के महाप्रबंधक उमेश सिंह से इस मामले में जब संपर्क किया गया तो उन्होंने दावा किया कि सभी परिपत्र हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जारी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बैंक की ओर से द्विभाषा नीति के तहत दोनों भाषाओं में सभी परिपत्र जारी किए जाते हैं और यह अब भी हो रहा है। हालांकि परिपत्र दिखाने या भेजने की मांग उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दी कि उनके पास और भी जरूरी काम हैं। महाप्रबंधक उमेश सिंह का कहना है कि बैंक सभी परिपत्र अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी जारी करता है, मेरे पास और भी जरूरी काम हैं परिपत्र की प्रति भेजने का समय नहीं है। साफ है कि मामले में कुछ छिपाने की कोशिश की जा रही है।

बता दें कि सेंट्रल बैंक को राजभाषा नीति के  उत्कृष्ट कार्यान्वयन, राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और रिजर्व बैंक राजभाषा शील्ड पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन पुरस्कार जीतने के बावजूद हिंदी की उपेक्षा को लेकर अब बैंक सवालों के घेरे में हैं। दरअसल राजभाषा में कामकाज के नाम पर बैंकों में हिंदी पखवाड़ा जैसे कार्यक्रम तो आयोजित किए जाते हैं, लेकिन सामान्य कामकाज में हिंदी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। कई खाताधारकों की शिकायत होती है कि अगर धनादेश पर हिंदी में दस्तखत किए जाएं तो बैंक अधिकारी नाकभौं सिकोड़ते हैं।

जानकारों के मुताबिक जनधन जैसी योजनाओं के बावजूद बड़ी संख्या में लोग बैंकिंग सेवा से इसलिए दूर हैं क्योंकि कामकाज की भाषा अंग्रेजी होने के चलते लोग सहज नहीं हो पाते। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में यह समस्या ज्यादा है।

Created On :   7 Aug 2018 1:42 PM GMT

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