एम्बुलेंस को रास्ता देने के चक्कर में कट रहे चालान, नागरिक परेशान

Citizen get traffic challan when they helps to provide route for ambulance
एम्बुलेंस को रास्ता देने के चक्कर में कट रहे चालान, नागरिक परेशान
एम्बुलेंस को रास्ता देने के चक्कर में कट रहे चालान, नागरिक परेशान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में सीरियस मरीजों को ले जा रही एंबुलेस को रास्ता देना लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है। कुछ वाहन चालकों का कहना है कि एंबुलेंस को जगह देने के चक्कर में उनका चालान कट चुका है। बात दरअसल यूं है कि एंबुलेंस को रास्ता देने में कुछ वाहन चालक धोखे से स्टॉप लाईन या सिग्नल जंप कर जाते हैं। स्टॉप लाईन क्रॉस करते ही उनके वाहन का नंबर और तस्वीर सिग्नल पर लगे CCTV में कैद हो जाती है, जिसके आधार पर चालान भेज दिया जाता है। हालांकि इस बीच कुछ ऐसे चालक भी होते हैं, जो एंबुलेंस के पीछे सिग्नल क्रॉस कर लेते हैं, जो नियम के तहत गलत है।

चालानी कार्रवाई का डर
रेड सिग्नल होने पर पीछे से आ रही एंबुलेंस का सायरन सुनकर समझदार वाहन चालक तुरंत उसे आगे बढ़ने के लिए स्थान देते हैं, इसी दौरान वाहन को मूव करना पड़ता है, यदी इसी बीच सिग्नल या स्टॉप लाईन जंप कर गए, तो चालानी कार्रवाई का डर बना रहता है। इससे उन लोगों के सामने परेशानी खड़ी हो रही है, जो नियमों का पालन कर एंबुलेंस को निकलने के लिए जगह दे देते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि इस दौरान चपत भी लग सकती है।

एंबुलेंस को आगे बढ़ने जगह दी और बन गया चालान
नौकरी पेशा उर्वेश मेश्राम जनता चौक के सिग्नल पर खड़े थे, इसी बीच एंबुलेंस का सायरन सुनाई दिया। मेश्राम ने बिना वक्त गंवाए एंबुलेस को आगे बढ़ने के लिए जगह दी, इसके लिए उन्हें अपना वाहन आगे किया, लेकिन मेश्राम ने उस वक्त यह नहीं सोचा था कि स्टॉप लाइन क्रॉस करते ही CCTV पर उनके वाहन की मूवमेंट रिकार्ड हो जाएगी और घर चालान भेज दिया जाएगा।

एंबुलेंस को रास्ता देना गुनाह था क्या?
कुछ इसी तरह आशीष घरड़ ने बताया कि अग्रसेन चौक से डागा की तरफ जा रही एंबुलेंस को रास्ता देने के चक्कर में उन्हें चालानी कार्रवाई का सामना करना पड़ा। 200 रुपए का चालान उनके घर के पते पर भेज दिया। मेरे घर के पते पर किसी और की गाड़ी का चालान भेज दिया गया था। पुलिस से पूछना चाहा तो कहा गया कि एक कलम और लगा दी जाएगी।

कई CCTV बंद
महानगर में 3800 से ज्यादा CCTV लगाए गए हैं। जिसमें 3500 के करीब चालू हैं। पांच साल के मैंटिनेंस के साथ 520 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से खर्च हुए हैं। यह प्रोजेक्ट कई मायनों में खास रहा, क्योंकि सुरक्षा के नजरिए से इसमें जो सॉफ्टवेयर काम कर रहा है, वो किसी भी क्रिमिनल को आसानी से सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। पेशियल रिकर्नेशन नामक सॉफ्टवेयर में क्रिमिनल्स की तस्वीरें सेव कर ली जाती हैं, जिसका चेहरा यदी CCTV में नजर आ रहे शख्स से मैच हुआ, तो सिग्नल कंट्रोल रूम तक पहुंचना शुरु हो जाता है। ऐसे में सिग्नल तोड़ने वालों पर कैमरे की पैनी नजर होती है।

अधिकारियों का आश्वासन
अभी तक ऐसा कोई कोस हमारे सामने नहीं आया। यदी इससे संबंधित कोई मामला सामने आता है, तो हम निश्चित ही बैठकर गंभीरता से विचार करेंगे। जरूरत पड़ी तो चालान कैंसिल किया जाएगा।
(डीसीपी चैतन्य, यातायात अधिकारी)

चालान बनाना ट्रैफिक पुलिस का काम है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस से बात कर इस मुद्दे का हल निकालना जरूरी है, तांकि वाहन चालकों को परेशानी का सामना न करना पड़े।
(रामनाथ सुनौने, सीईओ स्मार्ट सिटी) 

संतरानगरी मेडिकल हब बन चुकी है। यही कारण है कि यहां आसपास के इलाकों ही नहीं बलकि पड़ोसी राज्यों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। खासकर एक्सीडेंटल केस में बिना वक्त गंवाए संबंधित अस्पताल पहुंचना होता है और यह काम एंबुलेंस के सिवाय किसी दूसरे माध्यम से आसान नहीं होता। लेकिन अक्सर शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर एंबुलेंस को निकलने में दिक्कत होती है। एंबुलेंस को राह देने वालों को भी डर सताता है कि कहीं स्टॉप लाईन क्रॉस करने पर उनका चालान ही कट ना जाए। ऐसे में अपने वाहन को सड़क किनारे करने पर टेंशन से बचा जा सकता है।

ये भी परेशानी  
सिग्नल बंद हो तो भी कट जाता है चालान। कई बार किसी और की गाड़ी के नंबर का चालान गलत पते पर पहुंच जाता है।

कुछ लोग ऐसे भी
हर शख्स अपनी जिदंगी की दौड़ में इतना व्यस्त हो चुका है कि वह नैतिक जिम्मेवारियां भी भूलने लगा है। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो एंबुलेंस को जगह देने की जहमत तक नहीं उठाते। कई बार यह भी देखा गया है कि जाम जैसी स्थिती में फंसे वाहनों के बीच एंबुलेंस में जिंदगी और मौत के साथ जंग लड़ रहे मरीजों की भी फिक्र भी नहीं रहती। साल 2016 में दिल्ली सरकार ने एंबुलेंस को रास्ता न देने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए 2 हजार रुपए चालान काटने का फैसला किया।

विदेश में सख्त नियम
कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हुई थी, जिसमें नजर आ रहा था कि एंबुलेंस को रास्ता देने के लिए सड़क पर चल रही गाड़ियां किनारे हो जाती हैं। रेड लाइट ग्रीन होने के बाद भी गाड़ियां पहले एंबुलेंस को रास्ता देती हैं। 

- अमेरिका में एंबुलेंस का रास्ता रोकने पर 200 डॉलर यानी 13 हजार रुपए से ज़्यादा का जुर्माना या 7 दिन की जेल 
- ब्रिटेन में जान-बूझकर रास्ता ना देने वाले पर, 5 हजार पाउंड यानी करीब 5 लाख रुपए का जुर्माना 
- जर्मनी में 726 यूरो यानी करीब 53 हजार रुपए का ज़ुर्माना 
- चीन में 10 दिन की जेल या 200 युआन यानी करीब 2 हजार रुपए का जुर्माना 
- भारत में अलग-अलग राज्यों में 500 रूपए से लेकर 2 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान

 

 

Created On :   3 Aug 2018 7:06 AM GMT

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