CJI ने बनाई 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच, बगावती जज शामिल नहीं 

CJI Forms Constitution Bench to Hear Major Cases, 4 Dissenting Judges Not Included
CJI ने बनाई 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच, बगावती जज शामिल नहीं 
CJI ने बनाई 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच, बगावती जज शामिल नहीं 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने 5 जजों की एक कॉन्स्टीट्यूशन बेंच बनाई है। ये बेंच सुप्रीम कोर्ट में बड़े मामलों पर सुनवाई करेगी। खास बात ये है कि इस बेंच में उन चारों जजों को शामिल नहीं किया गया है, जिन्होंने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 4 जज जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा पर कई आरोप लगाए थे।


17 जनवरी से करेगी सुनवाई

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा ने बड़े मामलों पर सुनवाई करने के लिए 5 जजों की एक कॉन्स्टीट्यूशन बेंच बनाई है। इस बेंच में CJI दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। ये 5 जजों की बेंच सुप्रीम कोर्ट में बड़े मामलों की सुनवाई 17 जनवरी से शुरू कर सकती है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले जज शामिल नहीं

CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई में बनी ये 5 जजों की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच में उन 4 जजों को शामिल नहीं किया गया है, जिन्होंने 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इससे पहले बताया जा रहा था कि सोमवार को CJI दीपक मिश्रा ने जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ से मुलाकात की है। हालांकि ये भी अभी साफ नहीं है कि मुलाकात हुई भी है या नहीं। वहीं कहा ये भी जा रहा है कि अब विवाद को सुलझा लिया गया है, लेकिन CJI दीपक मिश्रा की बेंच में इन चारों जजों को जगह नहीं मिलने से लग रहा है कि अभी विवाद पूरी तरह से सुलझा नहीं है।

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किन मामलों पर सुनवाई करेगी 5 जजों की बेंच? 

बताया जा रहा है कि 5 जजों की ये कॉन्स्टीट्यूशन बेंच 17 जनवरी से कई बड़े मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी। 

1. "आधार" की कॉन्स्टीट्यूशन वैलिडिटी पर।

2. सेक्शन-377 को अपराध की कैटेगरी में रखा जाए या नहीं? 

3. केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं की एंट्री पर रोक के मुद्दे पर। 

4. पारसी महिला हिंदू धर्म के व्यक्ति से शादी करने पर अपनी धार्मिक पहचान खो देगी? 

5. दागी नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर सुनवाई।

6. एडल्ट्री मामलों में महिलाएं भी दोषी?

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12 जनवरी को 4 जजों ने की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस

दरअसल, देश के इतिहास में पहली बार शुक्रवार (12 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉनफ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया से बात की। इस दौरान जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि "सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।" उन्होंने बताया कि इस बात की शिकायत उन्होंने चीफ जस्टिस के सामने भी की, लेकिन उन्होंने बात को नहीं माना। प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा कि "किसी भी देश के लोकतंत्र के लिए जजों की स्वतंत्रता भी जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो लोकतंत्र नहीं बच पाएगा। हमने चीफ जस्टिस को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नहीं समझ पाए।" उन्होंने आगे कहा कि "हमारे पास इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं था, इसी कारण मजबूरी में हमें मीडिया के सामने आना पड़ा।" इसके अलावा इन चारों जजों ने चीफ जस्टिस पर ये भी आरोप लगाए कि "चीफ जस्टिस सीनियर जजों की बात नहीं सुनते हैं।"

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घर का मामला था, घर में सुलझ गया

सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के चेयरमैन मनन मिश्रा ने कहा कि "ये घर का मामला था और इसे घर में ही सुलझा लिया गया है।" वहीं इन जजों पर कार्रवाई करने से इनकार करते हुए मनन मिश्रा ने कहा कि "जब उन्होंने कुछ गलत नहीं किया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों? सुप्रीम कोर्ट में इतने सारे लोग हैं। सबकी अपनी राय हो सकती है, अपना नजरिया हो सकता है। उन चारों को जो गलत लगा, उन्होंने मीडिया के सामने आकर कहा। इसमें कार्रवाई जैसी कोई बात नहीं।"

Created On :   16 Jan 2018 3:21 AM GMT

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