बिना सामान कैसे बनेगा शालेय पोषण आहार, लड़खड़ा रही योजना

Claims to improve the level of government schools are proving wrong
बिना सामान कैसे बनेगा शालेय पोषण आहार, लड़खड़ा रही योजना
बिना सामान कैसे बनेगा शालेय पोषण आहार, लड़खड़ा रही योजना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी स्कूलों का स्तर सुधारने के सरकार के दावे कई मामलों में खोखले साबित हो रहे हैं। इन दिनों ऐसी ही गड़बड़ी शालेय पोषण आहार योजना में दिखाई दे रही है। अनाज छोड़ अन्य पोषण सामग्री की आपूर्ति ठप हो जाने से शालेय पोषण आहार योजना लड़खड़ा गई है। इसे नियमित जारी रखने के लिए मुख्याध्यापकों पर आहार सामग्री खरीदी करने की सख्ती की गई है।  शिक्षा विभाग की ओर से इस आशय के आदेश जारी किए गए हैं। महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति ने इसका कड़ा विरोध किया है।  

यह है व्यवस्था
रज्य के सभी स्थानीय स्वराज संस्था तथा निजी अनुदानित स्कूलों में कक्षा पहली से 8वीं के विद्यार्थियों को शालेय पोषण आहार योजना अंतर्गत मध्याह्न भोजन दिया जाता है। इसके लिए चावल, दाल, मोठ, बटाना, नमक, तेल, मिर्च तथा मसाले सरकार की आेर से आपूर्ति किए जाते हैं। ईंधन, सब्जी और पूरक आहार के लिए कक्षा पहली से 5वीं के विद्यार्थियों के लिए 1.51 रुपए, 6वीं से 8वीं कक्षा के लिए 2.18 रुपए स्कूलों को अनुदान दिया जाता है। स्कूल प्रबंधन समिति के माध्यम से योजना पर अमल किया जाता है। आहार पकाने का काम बचत समूह के माध्यम से करने के सरकार के निर्देश हैं। जिप स्कूलों की कम विद्यार्थी सेना और इसके एवज में मिलने वाले अत्यल्प अनुदान के कारण कोई भी बचत समूह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं है। विद्यार्थियों को पोषण आहार देना अनिवार्य है। ऐसी हालत में न चाहते हुए भी स्कूल प्रबंधन समिति को रसोया नियुक्त कर पोषण आहार योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी मुख्याध्यापकों को निभानी पड़ रही है।

हर साल यही हाल
शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले पोषण आहार सामग्री आपूर्ति करार होना अपेक्षित है, परंतु हर साल यही होता आया है। पिछले वर्ष भी समय पर करार नहीं हुआ था। इस वर्ष फिर उसी की पुनरावृत्ति होना दुर्भाग्यपूर्ण है। 

एजेंसी का करार समाप्त
अनाज छोड़ पोषण आहार की अन्य सामग्री आपूर्ति करने वाली एजेंसी का करार समाप्त हो गया। नई एजेंसी नियुक्ति की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई। स्कूलों को आपूर्ति की गई पोषण आहार सामग्री सामप्त हो गई। चावल छोड़ अन्य सामग्री की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। पोषण आहर योजना को नियमित रखने के लिए आहार सामग्री खरीदी करने की मुख्याध्यापकों पर सख्ती की गई है। खरीदी का लेखा-जोखा पेश करने के बाद अनुदान दिया जाएगा। प्राथमिक शिक्षण संचालक कार्यालय से इस आशय के आदेश जारी किए गए हैं।

अनुदान की प्रतिपूर्ति में विलंब
पोषण आहार सामग्री खरीदी के लिए मुख्याध्यापकों को पर प्रति माह 20 से 30 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। अनुदान की प्रतिपूर्ति 4-6 महीने बाद होती है। मुख्याध्यापकों की जेब पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। सरकार की इस नीति का विरोध करते हुए आहार सामग्री तत्काल आपूर्ति करने की मांग महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के प्रदेशाध्यक्ष उदय शिंदे, महासचिव विजय कोंबे, जिलाध्यक्ष लीलाधर ठाकरे, अनिल नासरे, रामू गोतमारे, आदि ने की है।

Created On :   10 Dec 2018 7:18 AM GMT

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