40 करोड़ कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने सम्बंधी एक विधेयक लोकसभा में पेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में अनियोजित क्षेत्र में काम कर रहे 40 करोड़ कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने सम्बंधी एक विधेयक को लोकसभा में गुरुवार को पेश किया गया। विधेयक में केन्द्र सरकार को हर 5 साल के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने का अधिकार देने की बात है जिसे कौशल, कार्यक्षमता, कार्य का भौगोलिक क्षेत्र जैसे मानकों के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण नियोक्ता और कर्मचारियों, स्वतंत्र व्यक्तियों की सिफारिशों और इसी साल पेश कोड ऑन वेजेस के आधार पर किया जाएगा।
बिल में कहा गया है कि सरकार हफ्ते के सात दिनों में एक दिन की छुट्टी को मिलाकर कार्य के घंटे के आधार पर भुगतान की राशि तय करेगी। इस बिल को पेश करते हुए श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि प्रस्तावित बिल मजदूरी और बोनस से जुड़े कानूनों को मजबूत करने के साथ ही उनमें बदलाव का कारण भी बनेगा। बिल में चार प्रमुख कानूनों को एक साथ मिलाने का प्रस्ताव किया गया है। इनमें पेमेंट ऑफ वेजेस एक्ट-1936, न्यूनतम मजदूरी कानून-1948, बोनस कानून- 1965 और एक समान मजदूरी का भुगतान-1976 शामिल हैं।
बंडारू ने उम्मीद जताई कि प्रस्तावित विधेयक कर्मचारियों की मजदूरी को देशव्यापी स्तर पर एक समान करने की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा। उन्होंने कहा, "यह विधेयक रोजगार पैदा करने और उद्योगपतियों को लुभाने वाला साबित होगा। साथ ही देश में मौजूदा 44 श्रम कानूनों को 4 कोड में एक साथ करने की दिशा में भी कारगर साबित होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक कर्मचारियों के अधिकारों का सवाल है, नए विधेयक के पारित हो जाने के बाद उनका शोषण आसान नहीं होगा।
Created On :   10 Aug 2017 5:40 PM GMT