सरकारी याेजनाओं में भ्रष्टाचार की जांच प्रक्रिया पर नजर रखेगी रिटायर्ड जजों की समिति

Committee of retired Judges will surveillance of corruption probe process
सरकारी याेजनाओं में भ्रष्टाचार की जांच प्रक्रिया पर नजर रखेगी रिटायर्ड जजों की समिति
सरकारी याेजनाओं में भ्रष्टाचार की जांच प्रक्रिया पर नजर रखेगी रिटायर्ड जजों की समिति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार द्वारा चलाई जा रही विविध योजनाओं में भ्रष्टाचार के कई मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। लेकिन ऐसे प्रकरण में पुलिस और राज्य सरकार की यंत्रणा प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर पाती। कई बार तो जांच एजेंसियां ही दबाव में होती है, जिसके कारण दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती। ऐसे में सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जांच प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश बुधवार को जारी किया। इसमें हाईकोर्ट और जिला न्यायालय के सेवानिवृत्त जज शामिल होंगे।

यवतमाल क्षेत्र महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में हुए भ्रष्टाचार पर केंद्रित जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश जारी किया। इस प्रकरण में राज्य सरकार की जांच और कार्रवाई से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। बीती सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि मनरेगा जैसी योजना में पारदर्शिता लाने के लिए स्वतंत्र निरीक्षक संस्था पर राज्य सरकार को विचार करना चाहिए।

दरअसल पिछले चार वर्षों से न्यायालय के विचाराधीन इस मामले में राज्य सरकार ने संतोषजनक जांच नहीं की। कोर्ट में उन्होंने जो कार्रवाई का ब्यौरा प्रस्तुत किया, उसमें न तो किसी की जिम्मेदारी तय की गई, न ही मामले के असली दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए। ऐसे में हाईकोर्ट योजना में पारदर्शिता के लिए स्वतंत्र संस्था की स्थापना चाहता है।

यह है मामला
मधुकर निस्ताने की इस जनहित याचिका में यवतमाल जिले के घाटंजी, रालेगांव और केलापुर तहसील में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में बड़े भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार यहां फर्जी मजदूर दिखाकर उनके नाम पर वेतन उठाया गया। इस शिकायत पर जिलाधिकारी की जांच में पता चला कि कई जगहों पर काम अधूरा है। जिलाधिकारी ने इसमें तहसील कार्यालय और वन विभाग के अधिकारियों को दोषी माना था। साथ ही दोषियों से घोटाले की रकम वसूलने का आदेश भी जारी किया था, लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी जिलाधिकारी के आदेश का पालन नहीं होने पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को रखी है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. महेश धात्रक ने पक्ष रखा

Created On :   1 Aug 2018 11:01 AM GMT

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