कंडक्टरों की मिलीभगत से मनपा को रोजाना लग रही 7 लाख की चपत

Conductors of Aapli bus service are doing Embezzlement of 7 lac daily
कंडक्टरों की मिलीभगत से मनपा को रोजाना लग रही 7 लाख की चपत
कंडक्टरों की मिलीभगत से मनपा को रोजाना लग रही 7 लाख की चपत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा द्वारा संचालित ‘आपली बस’ सेवा में कंडक्टरों की गैंग सक्रिय होने का खुलासा हुआ है। गोपनीय सूचनाओं के आधार पर मनपा परिवहन विभाग की टीम ने जब इसकी जांच-पड़ताल शुरू की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। आम तौर पर मनपा को नियमित रूप से 16 से 17 लाख की आय दिखाई जाती है, लेकिन कंडक्टरों की धरपकड़ के बाद हुए खुलासे के बाद रोजाना 22 से 23 लाख रुपए की आय होने की बात सामने आई है। अर्थात रोजाना 6 से 7 लाख रुपए का गबन।  

यह धोखाधड़ी वाॅट्सएप ग्रुप बनाकर अंजाम दी जा रही थी। वाॅट्सएप  पर अधिकारी व पदाधिकारी के प्रत्येक गतिविधि की जानकारी शेयर की जाती है। इतना ही नहीं टिकट चोर गिरोह प्रत्येक अधिकारी और पदाधिकारी के पीछे आदमी छोड़ रखे थे, जो वाॅट्सएप पर पल-पल की जानकारी बस के कंडक्टर और ड्राइवर के साथ शेयर करते थे। नवंबर से जारी इस धोखाधड़ी में वाॅट्सएप ग्रुप एडमिन सहित 18 कंडक्टरों को बर्खास्त किया गया है। इस तरह की चोरियों  को रोकने की जिम्मेदारी ऑपरेटर कंपनी डिम्स की थी। लेकिन डिम्स से इसके तार जुड़ने के भी संकेत मिले हैं। ऐसे में अब मनपा ने डिम्स कंपनी पर भी कार्रवाई की तैयारी दशाई है। 

प्रतिमाह 2 से 3 करोड़ रुपए का लगा रहे चूना
मनपा के परिवहन विभाग को प्रतिमाह करीब 5 से 6 करोड़ रुपए का घाटा होता है। घाटे की परेशानी के चलते विभाग जब कर्मचारियों को भुगतान नहीं करता है तो कर्मचारी हड़ताल चले जाते हैं। इस सारे मामलों के बीच खुलासा हुआ है कि आपली बस के कंडक्टर टिकट नहीं काटते हैं, जिससे मनपा को प्रतिमाह करीब 2 से 3 करोड़ रुपए का नुकसान होता है।

स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे लोग
मनपा के परिवहन विभाग के पीछे यह गिरोह स्लीपरसेल की तरह काम कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि बसों को चेक करने के लिए जब कोई टीम निकलती है तो ग्रुप में तत्काल खबर कर दी जाती है। कौन सी टीम कहां जा रही है और उसमें शामिल अधिकारियों के नाम ग्रुप में बताकर सबको अलर्ट किया जाता है। इतना ही नहीं कौन अधिकारी किस रोड पर जा रहा है, कहां से कौन-सी गाड़ी निकल रही है उसका नंबर और फोटो भी ग्रुप में अपडेट कर देते थे। स्लीपर सेल में काम करने वालों को करीब 500 रुपए दिए जाते हैं। ये लोग दफ्तर, घर और जगह-जगह तैनात रहते हैं।

साथ में मोबाइल लेकर चलता एक व्यक्ति
ड्यूटी के समय कंडक्टर हस्ताक्षर करते हैं कि उनके पास कोई मोबाइल नहीं है। लेकिन वह अपने साथ टिकट काटकर एक व्यक्ति को लेकर चलता है। इससे जांच के यह पता ना चले कि उसके पास मोबाइल है और वह ग्रुप में होने वाली हर प्रतिक्रिया का अपडेट करता रहता है। इसके बदले उन्हें करीब 500 रुपए मिलते हैं।

डिम्स के चेकियर को प्रतिमाह 10 लाख का वेतन
मनपा ने डिम्स कंपनी को सभी ऑपरेटरों को संभालने की जिम्मेदारी दी है। इसमें  आपली बस में बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्रियों को पकड़ने के लिए डिम्स ने करीब 80 चेकियर रहे हैं इनको करीब 10 लाख रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। इन सबके बाद भी कंडक्टर चोरी करते रहते हैं।

साइबर सेल में करेंगे शिकायत
कंडक्टर समय-समय पर ग्रुप का नाम बदलते रहते हैं। नामों में माऊली, भीम सेना और संविधान दिवस जैसे नाम शामिल हैं। परिवहन विभाग के सभापति बंटी कुकड़े और उपसभापति प्रवीण भिसीकर ने मामले को साइबर सेल में देने की बात कही।
 

Created On :   14 Dec 2018 10:54 AM GMT

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