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मंदिर अध्यादेश मामले पर RSS में उभर रही मतभिन्नता,सरसंघचालक बोले, जो सरकार्यवाह ने कहा वही संघ की लाइन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अयोध्या में मंदिर मामले काे लेकर संघ परिवार में मतभिन्नता की सुगबुगाहट महसूस की जाने लगी है। एक ओर मंदिर निर्माण के लिए सरकार की ओर से कानून बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित संघ के ही कुछ पदाधिकारी संकेत देने लगे हैं कि इस मामले में और इंतजार करना चाहिए। परिवार के लिए कसमसाहट का विषय बने इस मामले में सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले का वह ट्वीट काफी हलचल मचाए हुए है। जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री तो मंदिर निर्माण के प्रति सकारात्मक हैं। होसबले के ट्वीट पर सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत कहते हैं कि संघ की लाइन साफ है। संघ की ओर से जो कुछ कहना था सरकार्यवाह भैयाजी जोशी कह चुके हैं। बताने की जरुरत नहीं है कि होसबले के ऊपर सरकार्यवाह जोशी और उनसे भी ऊपर सरसंघचालक मैं हूं।
मंदिर को लेकर RSS आक्रामक
गौरतलब है कि मंदिर निर्माण मामले को लेकर संघ परिवार आंदोलनकारी भूमिका में है। नागपुर सहित 3 स्थानों पर संघ परिवार ने हुंकार सभा के माध्यम से सरकार से आव्हान किया था कि वह अयोध्या में मंदिर निर्माण के मामले में जल्द ही संसद में अध्यादेश लेकर आए। सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने संघ के बीते विजयादशमी उत्सव में यह विषय प्रमुखता से उठाया था। उन्होंने कहा था कि मंदिर निर्माण के लिए इंतजार की सीमा समाप्त हो चुकी है। सबकुछ न्यायालय में ही तय नहीं हो सकता है। सरकार ने अपना वादा निभाना चाहिए। कुछ दिनों बाद मुंबई में संघ के कार्यक्रम में सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने खुलकर सरकार को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार जनभावना को समझे। अन्यथा 1989 जैसा आंदोलन दोहराने से भी संघ परिवार नहीं चूकेगा। 25 नवंबर 2018 को नागपुर में हुंकार सभा में सरसंघचालक ने संघ की आंदोलन की तैयारी की बात की तो केंद्रीय स्तर पर राजनीति में हलचल मच गई।
प्रधानमंत्री के वक्तव्य पर नाराजगी
विश्व हिंदू परिषद ने तो बकायदा मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश को लेकर सांसदों को पत्र तक लिखे। कहा जाने लगा कि लोकसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर मामले में कानून बनाने के विषय पर ठोस निर्णय ले सकते हैं। इस बीच नए वर्ष पर समाचार चैनल काे दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने स्वयं अपनी भूमिका रखी। उन्होंने कहा कि न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मंदिर मामले पर अध्यादेश निकाला जा सकता है। फिलहाल कोई अध्यादेश नहीं निकाला जाएगा। प्रधानमंत्री ने एक तरह से संघ की अध्यादेश लाने की मांग को खारिज कर दिया। इस पर सरकार्यवाह भैयाजी जोशी की तीखी प्रक्रिया सामने आयी। उन्होंने इस मामले में देखेंगे जैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया। सरकार्यवाह जोशी ने कहा कि 2014 के चुनाव में लोगों ने भाजपा को इस उम्मीद के साथ मत दिया था कि मंदिर का निर्माण होगा। भाजपा ने मंदिर निर्माण का वादा किया था। लिहाजा संघ अपनी भूमिका पर कायम है। संघ यही चाहता है कि जल्द मंदिर का निर्माण हो। इसके लिए सरकार कानून बनाए।
इधर RSS ने खाका भी तैयार कर डाला
सरकार्यवाह के वक्तव्य के दूसरे दिन सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने संघ के अधिकृत ट्वीट र पर ट्वीट किया। उसमें उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के मामले में प्रधानमंत्री के सकारात्मक कदम आगे बढ़ते दिख रहे हैं। 1989 में भाजपा के पालमपुर अधिवेशन में मंदिर निर्माण के संबंध में प्रस्ताव मंजूर होने का स्मरण प्रधानमंत्री ने कराया है। 2014 के चुनाव में भाजपा ने घोषणापत्र में उल्लेख किया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए संविधान के दायरे में रहकर उपलब्ध मार्ग का इस्तेमाल किया जाएगा। फिलहाल संघ परिवार मंदिर मामले को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहा है। सरसंघचालक में विजयादशमी उत्सव में कहा था कि इस मामले को लेकर साधु संतों ने नेतृत्व करना चाहिए। उनका साथ संघ परिवार देगा।
साधु संतों के नेतृत्व में आंदोलन का खाका भी तैयार होने लगा है। 31 जनवरी व 1 फरवरी को धर्मसंसद का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर आंदोलन में पहले प्रमुख भूमिका निभा चुके भाजपा के नेताओं को भी धर्मसंसद के आयोजन की जिम्मेदारियां दी जा रही है। ऐसे में सहकार्यवाह होसबले का यह कहना कि मंदिर निर्माण के मामले में प्रधानमंत्री का कदम सकारात्मक है,संघ के ही कई पदाधिकारियों को असहमति योग्य लग रहा है। गुरुवार को इस मामले पर सरसंघचालक डॉ.भागवत से पत्रकारों ने चर्चा की। प्रधानमंत्री के सकारात्मक कदम संबंधी होसबले की बात पर सरसंघचालक का यह कहना काफी मायने रखता है कि होसबले सहकार्यवाह है,सरकार्यवाह नहीं। सरकार्यवाह ने जो कुछ कहा वहीं संघ का कहना है।
Created On :   3 Jan 2019 9:44 AM GMT