RSS तो भाजपा की सहयोगी है, उसे सांस्कृतिक संगठन कैसे कह सकते हैं : खड़गे

Congress leader Mallikarjun Kharge say rss is supporter of bjp
RSS तो भाजपा की सहयोगी है, उसे सांस्कृतिक संगठन कैसे कह सकते हैं : खड़गे
RSS तो भाजपा की सहयोगी है, उसे सांस्कृतिक संगठन कैसे कह सकते हैं : खड़गे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर यह कहकर निशाना साधा है कि राजनीतिक दल को सहयोग देनेवाला कोई संगठन सांस्कृतिक या न्यूट्रल कैसे कहला सकता है। उन्होंने कहा है कि संघ तो केवल भाजपा का सहयोगी है। मसीही अधिकार सम्मेलन के सिलसिले में यहां आए श्री खड़गे पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में इस समय सामाजिक सदभाव की भावना को आहत करने का प्रयास चल रहा है। सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दिया जा रहा हैै। विकास के मुद्दों से भटककर केंद्र सरकार अन्य विषयों पर ध्यान बंटाने लगती है। संवैधानिक मूल्यों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। संवैधानिक अधिकार व प्रावधानों की भी परवाह नहीं की जा रही है।

चुनाव के पास आते ही उठाया जाता है राम मंदिर का मुद्दा

समाज के पिछड़े व अल्पसंख्यक तबकेे में भय का वातावरण बनाया जा रहा है। भाजपा चुनाव को देखते हुए अक्सर मंदिर का मुद्दा उछाल देती है। लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं इसलिए राम मंदिर का विषय सामने लाया जा रहा है। राम मंदिर का विषय न्यायालय में लंबित है। न्यायालय के निर्णय को मानना होगा। न्यायालय के निर्णय के पहले राम मंदिर के मामले में टिप्पणी करना ठीक नहीं है। भाजपा साढ़े चार वर्ष से केंद्र की सत्ता में है। 4 वर्ष तक उसने राम मंदिर के मामले पर कुछ नहीं कहा। 3 माह बाद चुनाव होनेवाले है इसलिए वह मंदिर का मुद्दा छेड़ रही है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ दावा करता रहा है कि वह केवल सांस्कृतिक संगठन है। राजनीतिक मामले में न्यूट्रल अर्थात किसी एक के पक्ष में नहीं है। लेकिन उसकी जो भूमिका देखी जा रही है उसमें साफ है कि वह केवल भाजपा के साथ है। संघ का सारा कार्य भाजपा को सहायता करने के लिए रहता है। मंदिर मामले पर न्यायालय के निर्णय का इंतजार सभी को करना होगा।

केवल वादे पर टिकी सरकार
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि केंद्र व राज्य में सरकार केवल वादे पर टिकी है। चुनाव जीतने के लिए कई वादे किए गए। वादों को पूरा नहीं किया जा सका है। मोदी सरकार के विरोध में देश भर में माहौल बना है। राज्य में भाजपा नेतृत्व की सरकार भी सभी मोर्चो पर नाकाम साबित हुई है। मराठा आरक्षण का श्रेय किसी दल या सरकार को नहीं दिया जा सकता है। मराठा समाज के आंदोलन का यह प्रतिफल है। राज्य में किसान आत्महत्या के मामले बढ़ते ही जा रहे है। युवाओं के पास रोजगार नहीं है। महिला प्रताड़ना व दुष्कर्म के मामलों में कमी नहीं आयी है।

Created On :   1 Dec 2018 12:03 PM GMT

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