टैक्स की मार से कपास उद्योग संकट में, कामगार के पास नहीं है रोजगार

cotton industry of the saunsar block is migrating to Maharashtra
टैक्स की मार से कपास उद्योग संकट में, कामगार के पास नहीं है रोजगार
टैक्स की मार से कपास उद्योग संकट में, कामगार के पास नहीं है रोजगार

डिजिटल डेस्क सौंसर । सौंसर ब्लाक के आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ कपास उद्योग महाराष्ट्र में पलायन कर रहा है । स्थानीय कामगारों के अलावा इस उद्योग से जुड़े अन्य छोटे कारोबारी बेरोजगार हो रहे है। बीते पांच वर्ष में 6 जिनिंग व दो प्रेसिंग यूनिट में ताले लग गए।
कपास पर प्रदेश सरकार की टैक्स की नीति, महाराष्ट्र की तुलना में मप्र में रूई व बिनौले के दाम में अंतर व बिजली की समस्या मुख्य कारण है। जानकार कपास की घटती आवक भी इस के लिए एक कारण मान रहे है। इस वर्ष एक और जिनिंग व प्रेसिंग उद्योग का कारोबार बंद रहा। जिनिंग मालिक विजय चौधरी बताते है कि मप्र सरकार के टैक्स व अन्य समस्या के चलते पिछले वर्ष व्यवसाय में घाटा हुआ।
गौरतलब है कि प्रदेश सीमा से लगे महाराष्ट्र के जिनिंग कपंनियों से स्थानीय जिनिंग उद्योगों से दूरी महज 20 से 30 किमी होने से प्रदेश का सीमावर्ती किसान सौंसर मंडी में आने की बजाए महाराष्ट्र की मंडी में जा रहा है।
रोजगार का संकट
कपास जिनिंग व प्रेसिंग में 700 से 900 कामगारों को रोजगार मिलता है। 6 जिनिंग व प्रेसिंग यूनिट बंद होने से 3 से 4 हजार कामगार बेरोजगार हो गए। महाराष्ट्र से कपास की आवक बंद होने से वर्तमान में संचालित यूनिट में कार्यरत कामगारों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिल रहा। सिमटते कपास उद्योग पर चिंता जताते हुए कामगार योगेश जगनाडे कहते है कि दो पीढ़ी से इसी रोजगार से जुड़े होने से अब अन्य रोजगार तलाशने की समस्या खड़ी है।
मंडी टैक्स की परेशानी
कपास पर लग रहा मंडी टैक्स उद्योग समेटने का कारण होना बताते हुए व्यवसायी इंदरचंद डागा बताते है कि मप्र में प्रति क्विं. कपास पर 1.20 रू. टैक्स वसूला जाता है। जबकि महाराष्ट्र में मात्र 00.25 पैसे है। महाराष्ट्र में टैक्स कम होने से मप्र की तुलना में कपास के दाम अधिक हो जाते है। किसान मप्र. की बजाए महाराष्ट्र के जिनिंगों में कपास बेचता है। कपास की आवक कम होने से यहां की यूनिटे बंद हो रही या फिर कारोबारी महाराष्ट्र में पलायन कर रहे है।
इनका कहना है
    जिनिंग उद्योग समेटने से कामगार बेरोजगार हो रहे है। स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी से यह संकट और गंभीर हो रहा है।
-तुलसीराम माकड़े कामगार नेता.
कपास में महाराष्ट्र की तुलना में मप्र का मंडी टैक्स अधिक होने से मंडी में कपास की आवक कम हो रही है।
-सयर्दूर रहमान मंडी सचिव
महाराष्ट्र में कपास खरीदी में एकाधिकार खत्म होना, टैक्स की कमी, बिजली के रेट कम होने व आवक बेहतर होने से व्यापारी महाराष्ट्र में पलायन कर रहे है।
-संजय राठी अध्यक्ष मध्यदेश का.जि.प्रे. एसोसिएशन

Created On :   21 March 2018 8:43 AM GMT

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