कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब- क्यों कम नहीं हो रहा स्कूली बैग का वजन

Court asks answer to government, why not lose weight of school bags
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब- क्यों कम नहीं हो रहा स्कूली बैग का वजन
कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब- क्यों कम नहीं हो रहा स्कूली बैग का वजन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विद्यार्थियों के स्कूल बैग का वजन कम करने के लिए सरकार के आदेशों का पालन न किए जाने के मुद्दे को लेकर दायर याचिका पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट से एक सप्ताह का समय मांगा है। इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने जून 2017 में स्कूल बैग का वजन घटाने को लेकर शासनादेश जारी किया था जिसके तहत आश्वस्त किया गया था कि जिले के शिक्षा अधिकारी स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों के बैग का औचक निरीक्षण करेंगे और बैग का ज्यादा वजन होने पर स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई करेंगे।

याचिकाकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत जब सरकार से जानकारी मांगी तो उसे बताया गया कि अब तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। यह दर्शाता है कि सरकार के शासनादेश को लागू नहीं किया गया है। इसके अलावा सरकार के एक शासनादेश में बैग का वजन घटाने के लिए बच्चों को स्कूल में लॉकर उपलब्ध कराने व दूसरे उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों ने इसका भी पालन नहीं किया। सामाजिक कार्यकर्ता स्वाती पाटील ने इस मामले को लेकर अधिवक्ता नितेश निवसे के मार्फत हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें स्कूल बैग का वजन करने को लेकर सरकार की ओर से जारी शासनादेश का पालन न होने का दावा किया गया है। 

बुधवार को न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि यह याचिका काफी समय बाद सुनवाई के लिए आयी है। इसलिए उन्हें जवाब देने के लिए वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 

स्कूल बस को लेकर राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने फटकारा 

बांबे हाईकोर्ट ने स्कूल बस को लेकर केंद्र सरकार के कानून को न लागू करने के लिए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। इस कानून के तहत 13 सीट से कम क्षमता वाले वाहनों को स्कूली वाहन के रुप में चलने की इजाजत नहीं है। इस दौरान सरकारी वकील ने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले साल महाराष्ट्र मोटर वेहिकल कानून बनाया है। जिसके तहत 13 सीट से कम क्षमता वाले वाहनों को स्कूली वाहन के रुप में चलने की इजाजत दी है। इस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील की खंडपीठ ने कहा कि स्कूली वाहनों को लेकर सरकार कौन से कानून का पालन कर रही है, इसकी स्पष्ट जानकारी दे। क्या महाराष्ट्र सरकार के कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 8 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है और पैरवी के लिए राज्य के महाधिवक्ता को बुलाया है। पीटीए फोरम नामक संस्था ने इस संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। 
 

Created On :   3 Oct 2018 3:59 PM GMT

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