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MDC होम के लिए अनुदान में कम बढ़ोतरी पर राज्य सरकार को कोर्ट की फटकार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने बाल सुधार गृहों (एमडीसी होम) में मानसिक रुप से कमजोर बच्चों के लिए हर माह अनुदान की राशि दो हजार रुपए की बजाय 1650 रुपए तय किए जाने पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि आखिर 1650 रुपए के अनुदान में बच्चा कैसे जीवित रहेंगे? दरअसल अदालत ने सभी पहलूओं पर गौर करने के बाद सरकार को एमडीसी होम में रहने वाले बच्चों के अनुदान को अंतरिम तौर पर दो हजार रुपए करने का आदेश अप्रैल 2017 में दिया था, लेकिन सरकार ने दो हजार करने की बजाय अनुदान राशि 1140 रुपए से बढ़ा कर 1650 रुपए ही किया।
‘यह अदालत की अवमानना, जारी करेंगे नोटिस’
अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह से अदालत की अवमानना है। हम अनुदान तय करने के निर्णय प्रक्रिया से जुड़े सभी सचिवों के खिलाफ आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। हम जानना चाहते हैं कि सरकार 1650 रुपए की अनुदान को कैसे न्यायसंगत ठहराएगी? यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। इस दौरान टाटा इंस्टिट्यूट आफ सोशल साइंस की प्रोफेसर आशा वाजपेयी ने जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस शंकलेचा की बेंच को एमडीसी होम में रह रहे बच्चों के लिए सरकार की ओर से तय किए गए 1650 रुपए के अनुदान के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बाल न्याय कानून के कई प्रावधानों लागू किए हैं। एमडीसी होम में रहने वाले बच्चों के विकास के लिए सरकार ने कमेटी भी गठित कर दी है। बाल न्याय निधि की भी व्यवस्था बनाई है। प्रोफेसर वाजपेयी की ओर से अनुदान के विषय में मिली जानकारी के बाद बेंच ने कहा कि 1650 रुपए में कोई बच्चा कैसे जीवित रहेगा। यदि सरकार के पास पैसे की कमी है तो वह साफ तौर पर बताए।
बेंच ने सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी से कहा कि यदि सरकार इस मामले में न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई से बचना चाहती है तो वह तुरंत अनुदान की रकम को दो हजार रुपए करे। और इस संबंध में मंगलवार को हलफनामा दायर करे। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 30 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   27 April 2019 1:56 PM GMT