स्कॉलरशिप घोटाला : कोर्ट ने कहा- नोटिस देकर मिश्रा से पूछें कि उनसे 59.26 लाख क्यों न वसूले जाएं?

court say for notice to nagpur university in Scholarship scandal
स्कॉलरशिप घोटाला : कोर्ट ने कहा- नोटिस देकर मिश्रा से पूछें कि उनसे 59.26 लाख क्यों न वसूले जाएं?
स्कॉलरशिप घोटाला : कोर्ट ने कहा- नोटिस देकर मिश्रा से पूछें कि उनसे 59.26 लाख क्यों न वसूले जाएं?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय और सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन से जुड़े 59 लाख 26 हजार रुपए के स्कॉलरशिप घोटाले के मामले में  नागपुर खंडपीठ ने फैसला सुनाया। कोर्ट के पिछले आदेश पर सेवानिवृत्त जिला न्यायधीश जी.एम. कुबड़े ने जांच कर अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि, समाज कल्याण विभाग, विशेष सहायता विभाग और नागपुर यूनिवर्सिटी के अधिकारियों व कॉलेज संचालक सुनील मिश्रा की मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार हुआ है।

कोर्ट ने इस मामले में समाज कल्याण विभाग को निशाने पर लेते हुए कहा कि, मामले में उनकी तिजोरी से धन का भष्टाचार हुआ है। ऐसे में समाज कल्याण विभाग, मिश्रा को कारण बताओ नोटिस जारी करे और पूछे कि, उनसे यह 59 लाख 26 हजार की रकम क्यों न वसूली जाए। मिश्रा को अपना जवाब प्रस्तुत करने या फिर रिपोर्ट पर आपत्ति जताने को कहा गया है। साथ ही समाज कल्याण विभाग को अगले 8 सप्ताह में यथायोग्य निर्णय लेने को कहा गया है। हाईकोर्ट ने अब इस मामले का निपटारा कर दिया है। सुनील मिश्रा को दोबारा कोर्ट में आने की अनुमति दी गई है। 

कुबड़े समिति की रिपोर्ट में मिलीभगत उजागर
सेवानिवृत्त जिला न्यायधीश जी.एम. कुबड़े की समिति ने सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (सीआईआईएमसी) और नागपुर विश्वविद्यालय में 59 लाख 26 हजार रुपए के छात्रवृत्ति घोटाले की पुष्टि कर दी है। हाईकोर्ट में प्रस्तुत इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि, यह घोटाला समाज कल्याण विभाग, विशेष सहायता विभाग और नागपुर विश्वविद्यालय के अधिकारियों की आपसी मिलीभगत से किया गया है। इसमें छात्रवृत्ति के लाभार्थी विद्यार्थियों के नाम पर सीआईआईएमसी संचालक सुनील मिश्रा को 59 लाख 26 हजार रुपए का फायदा पहुंचाया गया है।

यह था मामला
याचिकाकर्ता उमेश बोरकर ने याचिका में  मिश्रा पर छात्रवृत्ति में हेर-फेर करने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता की दलील थी कि, विद्यापीठ अधिनियम के अनुसार शैक्षणिक शुल्क संबंधी आदेश जारी करने का अधिकार विद्यापीठ व्यवस्थापन परिषद को होता है। 5 दिसंबर 2013 को मिश्रा ने अवैध तरीके से विद्यापीठ के तत्कालीन कुलसचिव अशोक गोमासे से शुल्क वृद्धि का बनावटी पत्र तैयार करवाया और पिछड़ा वर्ग श्रेणी के विद्यार्थियों की फीस के रूप में समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति वसूल की गई थी। 
 
 

Created On :   22 Nov 2018 7:46 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story