दाभोलकर-पानसरे हत्याकांड को लेकर तल्खी, हाईकोर्ट ने कहा- दुनियाभर में बिगड़ रही देश की छवि, जवाब देना मुश्किल

Crime and rape showing bad image of country in world - High court
दाभोलकर-पानसरे हत्याकांड को लेकर तल्खी, हाईकोर्ट ने कहा- दुनियाभर में बिगड़ रही देश की छवि, जवाब देना मुश्किल
दाभोलकर-पानसरे हत्याकांड को लेकर तल्खी, हाईकोर्ट ने कहा- दुनियाभर में बिगड़ रही देश की छवि, जवाब देना मुश्किल

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अपराध और बलात्कार देश की छवि को दर्शा रहे हैं। गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पानसरे हत्याकांड मामले में फरार आरोपियों को पकड़ने में सीबीआई व विशेष जांच दल (SIT) की नाकामी को देखते हुए की। हाईकोर्ट ने कहा कि आज जैसे ही हमारे देश का कोई व्यक्ति विदेश जाता है, उससे वहां सैकड़ों सवालों का सामना करना पड़ता है। जैसे क्या भारत में उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष व प्रगतिशील विचारधारा के लोग सुरक्षित नहीं हैं? इससे ऐसा प्रतीत होता है, जैसे अपराध व बलात्कार देश की छवि को दर्शा रहे हैं। यदि यही स्थिति रही तो दूसरे देश के लोग हमसे बात करना नहीं पसंद करेंगे। इसका हमारे सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा। हम अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा और कौशल को प्रदर्शित नहीं कर पाएंगे।

पानसरे हत्याकांड को लेकर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी
जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने कहा कि पानसरे व दाभलोकर हत्याकांड को पांच साल से अधिक का वक्त बीत चुका है। अब तक इस मामले में सीबीआई व SIT को कोई नया सुराग नहीं मिला है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आखिर हम कब इन दोनों मामलों को उसके तार्किक अंजाम तक पहुंचाएगे। सीबीआई दाभोलकर मामले की जांच कर रही है जबकि SIT पानसरे मामले की छानबीन कर रही है। दोनों प्रकरण की जांच के तौर तरीके से खिन्न बेंच ने कहा कि जांच अधिकारियों को अधिक शातिर व चौकस बनना पड़ेगा। अन्यथा वक्त बीतता जाएगा और हमारे हाथ कुछ नहीं लगेगा। एक समय बाद जब आरोपी खुद को असुरक्षित महसूस करेंगे तो पुलिस के सामने आने की इच्छा जाहिर करेंगे। बेंच ने यह बात 1993 बम धमाके के आरोपियों के अब पकड़े जाने को लेकर यह बात कही। बेंच ने कहा कि यदि दो दशक बाद हम बम धमाके के आरोपी को पकड़ेगे तो उससे क्या पूछताछ व जांच करेंगे। एक समय के बाद जब आरोपी खुद कमजोर हो जाते है अथवा असुरक्षित महसूस करते है तो स्वयं सामने आते है।

सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह और SIT का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने मामले को लेकर बेंच के सामने प्रगति रिपोर्ट पेश की। मुंदरगी ने कहा कि हमने अभी हार नहीं मानी है पर फिलहाल हमारे हाथ कोई नई सफलता हाथ नहीं लगी है। फिर भी जांच में जुटे पुलिसकर्मी आशान्वित है कि उन्हें आरोपियों को पकड़ने में सफलता जरुर मिलेगी। सिंह ने भी जांच को लेकर सीबीआई अधिकारियों की ओर से किए जा रहे प्रयासों की बेंच को जानकारी दी। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि जांच एजेंसी ऐसे जांच अधिकारियों का इस्तेमाल करे जो मनोविज्ञान के विशेषज्ञ हो। जांच के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो। खास तौर से मोबाइल नंबरों को ट्रेस करने के लिए। बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 28 जून तक के लिए स्थगित कर दी है और अगली सुनवाई के दौरान सीबीआई व SIT को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। 
 

Created On :   19 April 2018 2:21 PM GMT

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