नागपुर को पानी देने वाले डैम सूखे, समय पर बारिश नहीं हुई तो हो सकती भयावह स्थिति

Dams are dry, fearful situation of water crisis in nagpur city
नागपुर को पानी देने वाले डैम सूखे, समय पर बारिश नहीं हुई तो हो सकती भयावह स्थिति
नागपुर को पानी देने वाले डैम सूखे, समय पर बारिश नहीं हुई तो हो सकती भयावह स्थिति

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले सहित पूरे नागपुर शहर में जलसंकट की भयावह स्थिति बन गई है। शहर को जलापूर्ति करने वाले तोतलाडोह जलाशय और वाड़ी नगरपालिका समेत अन्य क्षेत्रों को जलापूर्ति करने वाले वेणा डैम में पानी खत्म हो चुका है। नागपुर के लिए महत्वपूर्ण इन दोनों बांधों में अब जलापूर्ति करने लायक भी पानी नहीं बचा है। सरकारी रिकॉर्ड में दोनों बांधों में पानी का भंडारण शून्य बताया गया है। ऐसे में शहर को नवेगांव-खैरी बांध के डेड-स्टॉक से और वाड़ी नगरपालिका को अंबाझरी तालाब से जलापूर्ति की नौबत आ गई है। गोरेवाड़ा तालाब भी लगभग सूख चुका है। गोरेवाड़ा में सर-प्लस पानी होने पर उसका जलापूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब गोरेवाड़ा भी अपने अंतिम पड़ाव पर है। कन्हान जलशुद्धिकरण केंद्र का पानी फरवरी में ही खत्म हो चुका है। उसके लिए भी खेकड़ानाला और नवेगांव खैरी से पानी छोड़ा जा रहा है। 

समय पर बारिश नहीं हुई स्थिति भयावह
जिले के अन्य कुछ छोटी पंचायत समिति और नगरपालिका को जलापूर्ति करने वाले मकरधोकड़ा और सायकी जलाशय का भी पानी खत्म हो चुका है। इन क्षेत्रों के ज्यादातर गांवों में अब जिला प्रशासन द्वारा टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। अन्य छोटे-बड़े जलाशयों में भी लगभग यही स्थिति है। इन जलाशयों में पानी लगभग खत्म होने की कगार पर है ।  कुछ दिन का शेष पानी बचा है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि अगर सही समय पर बारिश नहीं हुई, तो इन गांवों में वैकल्पिक व्यवस्था करना भी कठिन हो सकता है।

15 जुलाई तक ही मिलेगा पानी
वर्ष 2018 में नागपुर समेत संपूर्ण राज्य में अपर्याप्त बारिश दर्ज की गई थी। उसी समय से इस वर्ष जलसंकट के आसार जताए जा रहे थे। दिसंबर से इसके संकेत मिलने लगे थे। दिसंबर में ही तोतलाडोह जलाशय में पानी 40 प्रतिशत से कम हो गया था। अब शून्य पर पहुंच गया है। हालांकि 2006 के बाद यह पहला मौका है, जब तोतलाडोह का जलभंडारण शून्य पर पहुंचा है और डेड-स्टॉक से पानी लेने की नौबत आई है। सरकार ने नवेगांव-खैरी के डेड-स्टॉक से 150 एमएमक्यूब में से 30 एमएमक्यूब पानी मंजूर किया है। दावा है कि 30 एमएमक्यूब पानी शहर की 15 जुलाई तक प्यास बुझा सकता है। यही स्थिति वेणा डैम की है। वेणा डैम से वाड़ी नगरपालिका सहित हिंगना के अन्य क्षेत्रों को जलापूर्ति होती है।

सन् 1975 तक अंबाझरी से होती थी जलापूर्ति
वेणा डैम में शून्य प्रतिशत पानी है। वेणा डैम का पानी सूखने पर अब वाड़ी को पहली बार अंबाझरी तालाब से पानी उठाना पड़ रहा है। अंबाझरी का पानी ट्रीट कर वाड़ी को पहुंचाया जा रहा है। 1975 तक अंबाझरी तालाब से शहर के एक हिस्से को जलापूर्ति होती थी, लेकिन 1975 के दौरान एक बीमारी शहर में तेजी से फैली, जिसके बाद अंबाझरी से शहर को जलापूर्ति बंद कर दी गई थी। ऐसे में आपातकाल स्थिति में अंबाझरी से फिर पानी लेने का विकल्प शुरू हो गया है। शहर में करीब 12 तालाब हैं। इनके पानी भी तेजी से सूख रहे हैं।

जलाशयों की स्थिति 
बड़े प्रकल्प
तोतलाडोह जलाशय में शून्य प्रतिशत, नवेगांव खैरी में 34.82 प्रतिशत, खिंडसी में 8.83 प्रतिशत, नांद में शून्य प्रतिशत और वड़गांव में 17.98 प्रतिशत पानी बचा है। 

मध्यम प्रकल्प 
चंद्रभागा जलाशय में 0.74 प्रतिशत, मोरधाम में 0.86 प्रति., केसरनाला में 0.26 प्रति., उमरी में 0.96 प्रति., कोलार में 2.07 प्रति., खेकड़ानाला में 5.91 प्रति., वेणा में शून्य प्रति., कान्होलीबारा में 3.41 प्रति., पांढराबोड़ी में 2.78 प्रति., मकरधोकड़ा में शून्य प्रति, सायकी में शून्य प्रति, जाम में 3.40 प्रति और कार जलाशय में 3.40 प्रतिशत पानी शेष है। 

Created On :   31 May 2019 5:14 AM GMT

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