आरएसएस का स्वयंसेवक बनने के लिए समर्पण भाव जरूरी

Dedication is most necessary for the RSS to become a volunteer
आरएसएस का स्वयंसेवक बनने के लिए समर्पण भाव जरूरी
आरएसएस का स्वयंसेवक बनने के लिए समर्पण भाव जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संघ से जुड़ने के बाद सभी स्वयंसेवकों की महत्त्वकांक्षा रहती है कि संघ निर्माता डॉ हेडगेवारजी और गुरुजी की भूमि पर तृतीय वर्ष में शिक्षार्थी के रूप में शामिल हों। यह प्रशिक्षण कोई डिग्री या प्रमाण पत्र के लिए नहीं है, बल्कि तृतीय वर्ष स्वयंसेवक निर्माण प्रक्रिया का एक चरण है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होंसबोले ने कही। वह संघ के शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष के शुभारंभ ‌पर रेशमबाग स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति भवन परिसर के महर्षि व्यास सभागृह में सोमवार 14 मई को बोल रहे थे। 

समर्पण भाव सिखाता वर्ग 
इस अवसर पर मंच पर वर्ग सर्वाधिकारी प्रांत संघचालक, उत्तराखंड एड.सरदार गजेंद्र सिंह, वर्ग कार्यवाह प्रांत कार्यवाह, जोधपुर श्याम मनोहर, पालक अधिकारी सहसरकार्यवाह मुकुंद उपस्थिति थे। उन्होंने कहा कि डॉ हेडगेवारजी द्वारा विकसित अनोखी पद्धति में आनंद भी है, अनुशासन भी है। संघ प्रशिक्षण सिर्फ शारीरिक व्यायाम, बौद्धिक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैचारिक अधिष्ठान भी है। यह वर्ग ज्ञान योग, कर्म योग तथा भक्ति योग का समन्वय है। यह वर्ग ‘मैं संघ का हूँ - संघ मेरा है’ ऐसा समर्पण भाव सिखाता है। 25 दिनों के इस वर्ग में सामूहिक अनुशासन के व्यावहारिक प्रशिक्षण से विशिष्ट तरंग एवं अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति होती है। 

स्वयंसेवकत्व की अनुभति 
होसबोले ने कहा इस वर्ग के क्षण क्षण को, कण कण को अपने अंतर्मन में समाहित कर स्वयंसेवकत्व की अनुभति करें। अलग भाषा, अलग पहनावा, अलग खानपान पर फिर भी एक हो कर राष्ट्र के लिए समर्पित हो, जब आप यह प्रशिक्षण पूर्ण करेंगे तो आप स्वयं एकात्म भारत का अनुभव करेंगे। पालकअधिकारी के रूप में सहसरकार्यवाह मुकुंद ने कहा कि कार्यकर्ता निर्माण की कोई सीमा नहीं है, यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। प्रशिक्षण से निरंतरता बनी रहती है. कुछ विशेष गुण, कुशलता पाने के लिए इस वर्ग में है। यह स्थान तपस्या और साधना का है। इसलिए यहां आकर हमारा दायित्व और जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। जो अनुभव हमें प्रशिक्षण के दौरान मिलता है, वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। ऐसा अनुभव स्वयं के लिए एक ‘अमूल्य निवेश’ है जो अन्यत्र प्राप्त नहीं हो सकता। इस ज्ञान समुद्र से जितना ज्ञान हम प्राप्त कर सकते हैं, प्राप्त करें। 

इन्होंने लिया हिस्सा 
विशेष रूप से मुख्य शिक्षक सह शारीरिक प्रमुख, अवध प्रान्त के अखिलेश, सह मुख्य शिक्षक सह शारीरिक प्रमुख, महाकौशल प्रांत के गंगाराजीव पांडे, बौद्धिक प्रमुख के रूप में बौद्धिक प्रमुख, दिल्ली प्रांत के उत्तम प्रकाश, सह बौद्धिक प्रमुख के रूप में बौद्धिक प्रमुख, कर्नाटक उत्तर प्रांत के कृष्णा जोशी, सेवा प्रमुख के रूप में क्षेत्र सेवा प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश के नवल किशोर, व्यवस्था प्रमुख धर्म जागरण संयोजक,नागपुर के सुनील भूलगांवकर उपस्थित थे। कार्यक्रम शिक्षार्थीयों का स्वागत अखिल भारतीय सहसरकार्यवाह भागय्या ने किया। वर्ग मे शिक्षार्थीयो की कुल संख्या 708 हैं l 

Created On :   14 May 2018 12:17 PM GMT

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