दिल्ली अदालत ने उठाए पुलिस के मुखबिरों पर सवाल

Delhi court raised questions about police informers
दिल्ली अदालत ने उठाए पुलिस के मुखबिरों पर सवाल
दिल्ली अदालत ने उठाए पुलिस के मुखबिरों पर सवाल

टीम डिजिटल, नई दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने आज सोमवार पुलिस के गुप्त मुखबिरों की विश्वसनियता पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि जो लोग अपराधियों के बारे में पुलिस को सूचित करते हैं उनसे इस बात का सवाल किया जाना चाहिए कि वे क्यों यह जानकारी पुलिस को दे रहे हैं. साथ ही ये भी पूछा जाना चाहिए कि उनके पास इतनी जानकारी कैसे उपलब्ध होती है.अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील के अग्रवाल ने कहा कि ऐसे 'स्मार्ट नेटवर्क' वाले व्यक्ति को एक भरोसेमंद सूत्र नहीं माना जा सकता. संभव है कि वह खुद अवैध गतिविधियों में शामिल हो.

न्यायालय ने यह सवाल एक मामले की सुनवाई के दौरान उठाया जिसमें ओखला के निवासी खुर्रम को देशी पिस्तौल रखने के लिए अवैध रूप से तीन साल की सजा सुनाई गई . रोहिणी मेट्रो स्टेशन के पास एक पेट्रोल पंप को लूटने की कथित गुप्त सूचना पर पुलिस टीम ने उसे दो अन्य लोगों के साथ 2006 में गिरफ्तार किया था.

एक मुखबिर ने इन लोगों के बारे में पुलिस को सटीक जानकारी दी थी. मुखबिर ने सही स्थान, मोटर साइकिल नंबर, वाहन का रंग और आरोपी की एकदम सही जानकारी पुलिस को दी थी जिससे आरोपी को आसानी से पकड़ लिया गया.

मुखबिर को आरोपी के बारे में इतनी सटीक जानकारी होने पर अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि इस बात कि जांच की जानी चाहिए कि मुखबिर के पास ये जानकारियां कैसे है. साथ ही उससे ये जानकारियां साझा करने का उद्देश्य भी पूछा जाना चाहिए. कोर्ट ने आगे कहा, 'एक व्यक्ति को अपराधियों के इतने चालाक नेटवर्क की जानकारी कैसे? वह शायद कुछ समय पहले या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में अभियुक्तों के साथ जुड़े रहे हों.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, पुलिस को गुप्त जानकारी मिली कि अंतरराज्यीय डकैतों की एक टीम रोहिणी मेट्रो स्टेशन के पास पेट्रोल पंप लूटने की योजना बना रही थी. आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने एक जाल बिछाया था.

खुर्रम के साथ दो अन्य, इकबाल और अबीद हसन को भी मौके से गिरफ्तार कर लिया गया था. इकबाल और हसन को इस मामले में जमानत मिली थी, जिसके बाद ये दोनों अदालत में पेश नहीं हुए. दोनों को अदालत ने 2008 और 2013 में अपराधी घोषित कर दिया था. मुकदमे के दौरान खुर्रम ने दावा किया था कि वह निर्दोष है और इस मामले में उसे झूठा फंसाया गया है. अदालत ने खुर्रम को तीन साल की सजा के साथ 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पुलिस ने बताया था कि खुर्रम ने भागने के लिए पुलिस टीम पर गोलीबारी भी की थी.

Created On :   12 Jun 2017 2:21 PM GMT

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