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पूरक उद्योग के रूप में बढ़ी दुग्ध व्यवसाय की मांग - गडकरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कृषि और कृषि से संबंधित पूरक उद्योग के रूप में दुग्ध व्यवसाय की मांग बढ़ी है। अधिकांश किसान इस व्यवसाय की ओर बढ़ रहे हैं। कृषि के विकास को किसान के विकास के रूप में देखा जाता है। उसी प्रकार यदि दुग्ध व्यवसाय का विकास करने के लिए नई तकनीक का उपयोग कर वैज्ञानिक क्रांति लाने का प्रयास करना होगा। इससे सही मायने में विदर्भ आैर मराठवाड़ा के किसान संपन्न होंगे और आत्महत्या रोकने में मदद मिलेगी। यह विचार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने व्यक्त किए। रेशमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की ओर से आयोजित "किसान अभिमुख" कार्यक्रम में वे बोल रहे थे।
विदर्भ में पारंपारिक पद्धति से खेती
इस अवसर पर उद्योग व खनिकर्म राज्यमंत्री प्रवीण पोटे, विदर्भ व मराठवाडा दुग्धविकास प्रकल्प के संचालक रवींद्र ठाकरे, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष दिलीप रथ, कार्यकारी संचालक वाई. वाई. पाटील आदि उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि विदर्भ में आज भी पारंपारिक पद्धति से खेती की जाती है। इससे भूमि की उपयोगिता कम हो रही हैै। कंपोस्ट खाद, गांढूल खाद, गोबर खाद जैसे सेंद्रीय संसाधनों का उपयोग करने से जमीन की गुणवत्ता व उपयोगता बढ़ाने में मदद मिलती है।
हर रोज 2 लाख 10 हजार लीटर दूध संकलन
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए दिलीप रथ ने बताया कि विदर्भ के 6 आैर मराठवाडा के 3 मिलाकर कुल 9 जिले के 1400 गावाें में 27 हजार से अधिक किसान हर रोज 2 लाख 10 हजार लीटर दूध संकलीत कर रहे हैं। आनेवाले समय में 11 जिले के 79 गावाें में विदर्भ व मराठवाड़ा दुग्धविकास प्रकल्प शुरू कर रोजाना करीब 25 लाख लीटर तक दूध संकलित करने की योजना है।
Created On :   22 April 2018 11:02 AM GMT