मुश्किलों के बाद भी मतदान का उत्साह नहीं था कम, कहीं नाव से निकले, तो तैरकर पहुंचे मतदान केंद्र 

Despite the difficulties, there was no less enthusiasm for voting
मुश्किलों के बाद भी मतदान का उत्साह नहीं था कम, कहीं नाव से निकले, तो तैरकर पहुंचे मतदान केंद्र 
मुश्किलों के बाद भी मतदान का उत्साह नहीं था कम, कहीं नाव से निकले, तो तैरकर पहुंचे मतदान केंद्र 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गड़चिरोली में नक्सली दहशत और भारी वर्षा के बावजूद गड़चिरोली जिले के नक्सल प्रभावित ग्राम वेंगनूर के साहसी मतदाताओं ने नौका से नदी पार कर मतदान केंद्र पर पहुंचकर लोकतंत्र के इस यज्ञ में अपनी सहभागिता दर्ज करवायी। वेंगनूर गांव कोको नदी के तट पर बसा होने के कारण इस गांव के नागरिक नौका के जरिए ही रेगड़ी तक पहुंच सकते हैं। ऐेसे में सोमवार 21 अक्टूबर को मतदान के ही दिन जिले में जोरदार बारिश शुरू हो गई। दूसरी ओर इस क्षेत्र में नक्सलियों ने बैनर और पर्चे डालकर मतदान का बहिष्कार करने का आह्वान भी क्षेत्र के नागरिकों से किया था। ऐसे में वेंगनुरवासियों के समक्ष एक नहीं बल्कि  दो-दो तरह की मुश्किलें थीं। इसके बावजूद उन्होंने मतदान करने का निर्णय लिया और भरी बरसात में नौका से नदी पार करते हुए कई कि.मी.की दूरी पैदल तय कर रेगड़ी के मतदान केंद्र पर पहुंचे। 

दोनों पैरों से दिव्यांग तैरकर पहुंचा मतदान केंद्र 

एक दिव्यांग मतदाता के साहस ने सभी को हैरत में डाल दिया। भामरागड़ तहसील अंतर्गत ग्राम तुमरकोठी निवासी प्राजुन लिंगु गावडे नामक 43 वर्षीय मतदाता जिसके दोनों पैर नहीं है, ने नाला तैरकर पार करते हुए मतदान करने पहुंचा। मतदान केंद्र उसके गांव से बहनेवाले नाले के पार ग्राम कोठी में था। बगैर किसी की सहायता लिए अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने वह नाला तैरते हुए पार कर कोठी पहुंच गया। उसने किसी भी सहायता नहीं ली। अपने आत्मविश्वास के बल पर नाला तैरते हुए पार किया और अपने मताधिकार का प्रयोग किया। फलस्वरूप इस दिव्यांग मतदाता के साहस की चहुओर सराहना की जा रही है।  

नक्सलियों ने किया पोलिंग पार्टी पर हमला 

नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में सोमवार 21 अक्टूबर को नक्सली हिंसा के बीच मतदान उत्साह के संपन्न हुआ। सुबह जैसे ही मतदान की प्रक्रिया आरंभ हुई मतदाताओं के उत्साह और जुनून के आगे नक्सली खौफ मुंह छिपाता नजर आया। नक्सली हिंसा के बीच गड़चिरोली जिले में औसतन 67.50 प्रतिशत रिकार्ड मतदान दर्ज करते हुए मतदाताओं ने लोकतंत्र को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया। जिले की नक्सल प्रभावित एटापल्ली तहसील के ग्राम जांभिया में सोमवार सुबह जब पोलिंग पार्टी को मतदान केंद्र तक पहुंचाया जा रहा था, नक्सलियों ने बम विस्फोट कर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। जिस पर पुलिस ने भी गोलीबारी शुरू कर दी। कुछ देर चली मुठभेड़ के बाद नक्सली जंगल में भाग गए। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। मुठभेड़ के बाद चलाए गए सर्चिंग आपरेशन के दौरान पुलिस ने जांभिया और गट्टा में दो-दो आईईडी बरामद किए। इस बीच अहेरी उपविभाग के अधिकांश स्थानों पर अचानक हुई मूसलाधार बारिश ने भी मतदान में रोड़ा अटकाया। जिसके चलते अधिकांश पोलिंग पार्टियां शाम तक बेस कैम्प नहीं पहुंच पायीं थीं। नक्सलियों की धमकी और भारी वर्षा के बावजूद नक्सलग्रस्त ग्राम वेंगनूर के नागरिक नौका से नदी पार कर मतदान केंद्र पर पहुंचे। 

चुनाव कार्य में तैनात दो कर्मियों की मृत्यु

जिले की एटापल्ली और चामोर्शी तहसील में चुनाव कार्य में जुटे दो कर्मियों की विभिन्न कारणों से मृत्यु होने की जानकारी मिली है।  एटापल्ली तहसील अंतर्गत ग्राम पुरसलगोंदी में एटापल्ली तहसील के ही दोड्डीटोला निवासी शिक्षक बापू पांडु गावडे (45) रविवार को पोलिंग पार्टी के साथ मतदान केंद्र की ओर जा रहे थे। तभी उन्हें फिट आ गई और वे गिर पड़े। चंद्रपुर के जिला अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इसी तरह की दूसरी घटना चामोर्शी शहर के मतदान केंद्र पर घटी। चामोर्शी नगर पंचायत में सिपाही पद पर कार्यरत विजय खंडाले (45) रविवार को चामोर्शी के मतदान केंद्र क्र. 207 पर ड्युटी पर तैनात थे। शाम में अचानक उन्हें सीने में दर्द हुआ। गड़चिरोली के जिला अस्पताल में उपचार के दौरान उनका देहांत हो गया। 

मूकबधीर युवाओं ने डाला वोट

​​​​​​​उधर अमरावती में मूकबधीर बालगृह में वरिष्ठ समाजसेवी शंकरबाबा पापडकर की छत्रछाया में पले-बढ़े 123 अनाथ दिव्यांग युवाओं ने सोमवार 21 अक्टूबर को अपने मताधिकार का प्रयोग कर विस चुनाव के इस यज्ञ में अपनी सहभागिता दर्ज करवाई। इन दिव्यांग बच्चों में मतदान के प्रति इतना उत्साह था कि, करीब 1 कि.मी. की दूरी पैदल तय कर वे मतदान केंद्रों में पहुंचे। 

 

Created On :   21 Oct 2019 5:39 PM GMT

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