धड़क रिव्यू: पहले प्यार की मासूमियत देखना चाहते हैं तो आपके लिए है धड़क

धड़क रिव्यू: पहले प्यार की मासूमियत देखना चाहते हैं तो आपके लिए है धड़क

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इस शुक्रवार श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर की डेब्यू फिल्म धड़क सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में जाह्नवी के अपोजिट शाहीद कपूर के छोटे भाई ईशान खट्टर लीड रोल में हैं। ये फिल्म मराठी ब्लॉकबस्टर फिल्म "सैराट" का हिंदी रीमेक है। इस फिल्म से भी सभी को काफी उम्मीदें थीं। आइये देखते हैं कि फिल्म अपनी उम्मीदों पर कितना खरी उतरी है।

फिल्म: धड़क 
डायरेक्टर: शशांक खेतान 
स्टार कास्ट: ईशान खट्टर, जान्हवी कपूर ,आशुतोष राणा
अवधि: 2 घंटा 17 मिनट
रेटिंग: 3 स्टार

निर्देशक परिचय 

फिल्म "धड़क" का निर्देशन डायरेक्टर शशांक खेतान ने किया है। शशांक इससे पहले फिल्म इंडस्ट्री को "हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया" और "बद्रीनाथ की दुल्हनिया" जैसी सुपरहिट फिल्में दे चुके हैं। इन दोनों ही फिल्मों में मंझे हुए कलाकार वरुण धवन और आलिया भट्ट ने काम किया था। इस बार उनकी इस फिल्म में दोनों ही कलाकार युवा हैं और मंझे हुए नहीं हैं। इन सितारों के साथ शशांक का एक्सपरीमेंट कैसा साबित हुआ आइये जानते हैं।

कहानी 

फिल्म "धड़क" मराठी फिल्म "सैराट" की हिन्दी रीमेक है। जाहिर है फिल्म की कहानी सैराट की तरह ही है। फिल्म की कहानी राजस्थान के उदयपुर से शुरू होती है। जहां रहने वाले रतन सिंह (आशुतोष राणा) एक होटल के मालिक हैं उदयपुर के दबंग भी हैं। उनका एक बेटा है रूप सिंह जो अपने पिता की ही तरह दबंग है। उनकी बेटी पार्थवी (जाह्नवी कपूर) भी अपने पिता की लाडली है। दूसरी ओर उदयपुर में ही एक रेस्टोरेन्ट संचालित करने वाले का बेटा मधुकर बागला (ईशान खट्टर) जो अपने पिता का हाथ बटाने के साथ ही टूरिस्ट गाइड भी है। पार्थवी और मधुकर एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं और वहीं मधुकर को देखते ही देखते पार्थवी से प्यार हो जाता है और वो लग जाता है पार्थवी को इम्प्रेस करने में। फिर शुरू होती है इन दोनों की लव स्टोरी। लेकिन मधुकर के पिता को ये पसंद नहीं होता कि उनका बेटा किसी ऊंची जाति की लड़की से मिले। मधुकर और पार्थवी किसी की भी परवाह किये बिना एक-दूसरे से मिलते रहे। दूसरी ओर ठाकुर रतन सिंह चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं, ऐसे में उन्हें वोटर को रिझाना भी मजबूरी बनता जा रहा है। रतन सिंह को पार्थवी और मधुकर के प्यार के बारे में जब पता लगता है तो मधुकर और उसकी फैमिली पर उनका कहर टूट पड़ता है। ऐसे में दोनों उदयपुर से भाग जाते हैं, अब आगे क्या होगा यह जानने के लिए आपको थिएटर की ओर रूख करना होगा।

निर्देशन और पटकथा 

निर्देशन की बात की जाए तो फिल्म के डायरेक्टर शशांक खेतान ने इंटरवल से पहले की फिल्म को कुछ ज्यादा ही खींच दिया। खासकर पार्थवी और मधुकर की मुलाकातों के लंबे सीन पर आसानी से कैंची चलाई जा सकती थी। इससे फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी स्लो लगता है। वहीं सेकंड हाफ में मधुकर और पार्थवी के संघर्ष को दिखाया गया है। बात की जाए फिल्म की लोकेशन्स की तो लोकेशन्स काफी अच्छी हैं लेकिन उनका इस्तेमाल और बखूबी किया जा सकता था।

अभिनय और संगीत 

फिल्म से श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर ने डेब्यू किया है। अपनी पहली फिल्म में उन्होंने काफी अच्छा अभिनय किया है। उनका पहली फिल्म के लिए होमवर्क दिख रहा है। ईशान की ये दूसरी फिल्म है जिसके हिसाब से उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया है। दोनों की ऑनस्क्रीन कैमिस्ट्री भी बेहद खूबसूरत लग रही है। लेकिन फिस के किसी-किसी सीन में जाह्नवी ईशान से बड़ी नजर आ रही हैं। ठाकुर रतन सिंह के रोल में आशुतोष राणा का जवाब नहीं। मधुकर के दोस्त बने अंकित बिष्ठ और श्रीधरन अपने अपने रोल में फिट रहे।

बात की जाए फिल्म के म्यूजिक की तो लॉन्च के साथ ही इसके म्यूजिक ने लोगों के दिल में जगह बना ली थी। फिल्म के दो गाने "धड़क है न" और "पहली बार" का फिल्मांकन बेहद खूबसूरत है। हालांकि फिल्म का गाना "झिंगाट" मराठी "झिंगाट" को बीट नहीं कर पाया।

क्यों जाएं फिल्म देखने 
जाह्नवी और ईशान की बेहतरीन केमिस्ट्री, राजस्थान की पृष्ठभूमि में बनी इस फिल्म की कहानी में बेशक नया कुछ न हो लेकिन कहानी को ऐसे दिलचस्प ढंग से पेश किया गया है कि आप कहानी से बंधे रहते हैं। क्रिटिक्स की तरफ से इस फिल्म को साढ़े 3 स्टार दिए गए हैं।   

Created On :   20 July 2018 9:15 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story