धन और यश पाने के लिए होगी हाथी पर विराजमान महालक्ष्मी की पूजा

धन और यश पाने के लिए होगी हाथी पर विराजमान महालक्ष्मी की पूजा

डिजिटल डेस्क । आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत (हाथी पूजा) किया जाता है। इस बार गज महालक्ष्मी व्रत 2 अक्टूबर 2018 को है। महालक्ष्मी जी के आठ स्वरूपों का वर्णन शास्त्रों में किया गया है। इस दिन माता लक्ष्मी जी के गजलक्ष्मी स्वरूप (हाथी) की पूजा की जाती है। आइए जानते है कि महालक्ष्मी या हाथी पूजा कैसे करना हैं चाहिए।

ऐसे करें व्रत और पूजा

सबसे पहले तो प्रात: काल स्नान से पहले हरी दूब (दूर्वा) को अपने पूरे शरीर पर हल्के से घिसें। स्नान के समय व्रत का संकल्प करें। इस दिन व्रत रखकर संध्या के समय लकड़ी की चौकी पर सफेद रेशमी वस्त्र को बिछाएं। देवी लक्ष्मी की सवारी हाथी को स्थापित करें। इसके बाद एक कलश पर अखंड ज्योति स्थापित करें, तथा सोलह प्रकार से पूजा करें। मेवा, मिठाई, सफेद दूध की बर्फी आदि का भोग लगाएं। 

पूजन सामग्री में चंदन, ताल, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, लाल सूत, सुपारी, नारियल रखें। नए कच्चे पीले सूत के 16-16 की संख्या में 16 बार सागड़े रखें। पीले कच्चे सूत में 16 गांठे लगाकर लक्ष्मी जी को अर्पित करें। इसके बाद महालक्ष्मी पर सोलह श्रंगार चढ़ाएं। मीठे मोटे रोट का भोग लगाएं।

पूजा के समय ध्यान रखें कि देवी के हाथी का मुख उत्तर दिशा में हो और सभी व्रतीधारी पश्चिम दिशा की ओर मुंख कर पूजा करें। चंद्रमा के निकलने पर तारों को अर्घ दें व उत्तरमुखी होकर पति-पत्नी एक–दूसरे का हाथ थाम कर देवी महालक्ष्मी को दीपावली पर अपने घर आने के लिए तीन बार बोलते हुए निमंत्रण दें। 

इसके बाद देवी पर चढ़ाई 16 वस्तुएं चुनरी, सिंदूर, लिपिस्टिक, रिबन, कंघी, शीशा, बिछिया, नाक की नथ, फल, मिठाई, मेवा, लौंग, इलायची, वस्त्र, रुमाल श्रीफल इत्यादि किसी सुहागन नारी, ब्राहमण की स्त्री (पत्नी) अर्थात ब्राह्मणी को दान कर दें। पूजा के पश्चात 16 गांठ लगाए हुए पीले धागे को घर का हर सदस्य ब्राह्मणी द्वारा अपनी कलाई पर बंधवा लें। 

Created On :   26 Sep 2018 6:57 AM GMT

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