सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पूरक आहार योजना बनी छलावा, नहीं लगी बायोमेट्रिक मशीन

Dietary planning of drought-affected areas becomes just a hoax
सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पूरक आहार योजना बनी छलावा, नहीं लगी बायोमेट्रिक मशीन
सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पूरक आहार योजना बनी छलावा, नहीं लगी बायोमेट्रिक मशीन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सूख प्रभावित क्षेत्रों में शालेय विद्यार्थियों को सप्ताह में 3 दिन पूरक आहार देने के शिक्षण संचालनालय ने निर्देश दिए हैं। नागपुर जिले की 3 तहसील और 8 राजस्व मंडल में 51 हजार 155 विद्यार्थी इस योजना के पात्र ठहराए गए हैं। पात्र लाभार्थियों की बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कर वितरण करने की शर्त रखी गई हैं। बायोमेट्रिक मशीन लगाने के संबंध में स्पष्ट आदेश नहीं दिए गए। विद्यार्थी उपस्थिति के पेंच में फंसी पूरक आहार योजना छलावा बनकर रह गई है।

बता दें सूखा प्रभावित क्षेत्र में विद्यार्थियों को पूरक आहार के रूप में दूध, अंडे और फल देने के निर्देश दिए गए हैं। प्रति विद्यार्थी 5 रुपए के हिसाब से निधि आवंटित किया जाना है। यह निधि शालेय पोषण आहार निधि के अतिरिक्त रहेगी। परंतु उपस्थिति दर्ज करने बायोमेट्रिक मशीन की खरीदी के संबंध में किसी भी प्रकार के निर्देश नहीं दिए गए हैं। बायोमेट्रिक मशीन के संबंध में किसी भी प्रकार के दिशा-निर्देश नहीं दिए जाने से योजना पर अमल को लेकर पसोपेश बना हुआ है। 

काटोल, कलमेश्वर, नरखेड़ तहसील पात्र
राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए पूरक आहार योजना की घोषणा की गई है। नागपुर जिले की काटोल, कलमेश्वर, नरखेड़ तहसील सूखा प्रभावित घोषित की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त गोधनी, आड़ेगांव, टाकलघाट, देवलापार, मकरधोकड़ा, हेवंती, पांचगांव और मांढल राजस्व मंडल सूखा प्रभावित क्षेत्र में शामिल है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों की निजी और सरकारी स्कूलों के 51 हजार 155 विद्यार्थियों को इस योजना के लिए पात्र ठहराकर सूची शिक्षण संचालनालय के पास भेजी गई है। 

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में दिए थे निर्देश
सूखा घोषित गांवों में विद्यार्थियों को सप्ताह में 3 दिन दूध, अंडे और फल पूरक आहार देने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2016 को दिए थे। राज्य में सूखा प्रभावित क्षेत्राें की घोषणा होकर 3 महीने से अधिक समय बीत गया। अभी तक राज्य में इस पर अमल नहीं किया गया है। ऊपर से सरकार ने बायोमेट्रिक उपस्थिति की शर्त लगाकर नया पेंच खड़ा कर दिया है। बायोमेट्रिक मशीन खरीदी के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं है। इसे कम्प्यूटर और बिजली की आवश्यकता है। अनेक स्कूलों में यह सुविधा नहीं है। ऐसी स्थिति में पूरक आहार योजना पर अमल होगा भी या नहीं, इसे लेकर संदेह बना हुआ है।
 

Created On :   6 Feb 2019 7:57 AM GMT

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