जमा देने वाली ठंड, फटे हुए फेफड़े, फिर भी 72KM की मैराथन जीत ले गया ये शख्स

Disable Ex Navy commando finishes 72 km Marathon to prove himself
जमा देने वाली ठंड, फटे हुए फेफड़े, फिर भी 72KM की मैराथन जीत ले गया ये शख्स
जमा देने वाली ठंड, फटे हुए फेफड़े, फिर भी 72KM की मैराथन जीत ले गया ये शख्स

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कहा जाता है कि जब आपके अंदर कुछ कर गुजरने की चाह हो और सारी दुनिया आपकी इस चाह पर मजाक उड़ाए तो फिर वक्त आता है खुदको प्रूफ करके दिखाना का। ऐसा ही कुछ 32 साल के प्रवीण तेवटिया के साथ भी हुआ, जो नेवी में एक कमांडो थे, लेकिन 26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए आतंकी हमले में वो बुरी तरह घायल हो गए थे। हमले में बुरी तरह से घायल होने के बाद प्रवीण को नेवी में नॉन-एक्टिव नौकरी की पेशकश की गई, लेकिन वो नेवी को ये साबित करने में लग गए कि वो अभी भी पूरी तरह से फिट हैं। इसके लिए प्रवीण ने मैराथन में पार्टिसिपेट करना शुरू कर दिया। 9 सितंबर को उन्होंने लद्दाख में 72 किमी लंबी खर्दुंग ला मैराथन में भाग लिया और इसे जीत लिया। ये मैराथन लद्दाख की जिस खर्दुंग पहाड़ी पर हुई, वहां पर -10 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर था और उसकी ऊंचाई के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी भी होती जा रही थी। ऐसी जगह पर कोई पूरी तरह से फिट आदमी भी जाने की शायद ही हिम्मत करे, लेकिन ऐसी जगह पर प्रवीण ने मैराथन जीतकर साबित कर दिया कि वो पूरी तरह से फिट हैं। आपको बता दें कि प्रवीण को शौर्य चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

प्रूफ करना चाहते थे, इसलिए ले लिया VRS

प्रवीण तेवटिया अपने आपको प्रूफ करना चाहते थे और वो बताना चाहते थे कि फेफड़े कमजोर होने और ठीक से सुनाई नहीं देने के बाद भी उनमें वहीं दम है जो पहले था। मुंबई हमले में घायल होने के बाद प्रवीण ने अपने 5 महीने हॉस्पिटल में गुजारे। इसके बाद प्रवीण को नेवी की तरफ से डेस्क का काम दिया गया, लेकिन उन्हें ये मंजूर नहीं था। इसके बाद प्रवीण ने नेवी माउंटेनियर के लिए एप्लाय किया, लेकिन मेजिकली ठीक नहीं होने की वजह से उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद प्रवीण ने बहुत मेहनत की और कई मैराथन में पार्टिसिपेट किया और जीता भी। प्रवीण के मुताबिक, उन्हें पता था कि इन सबसे भी नेवी को उनपर भरोसा नहीं होगा। इसलिए उन्होंने फिर VRS लेने का फैसला लिया और दिन-रात मैराथन की प्रैक्टिस में लग गए। 

डॉक्टरों ने छोड़ दी थी उम्मीद

26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल में हुए आतंकी हमले में प्रवीण को 4 गोलियां लगी थी। इतनी गोलियां लगने के बाद भी प्रवीण जिंदा रहे। हालांकि उनके फेफड़ों और कान को बहुत नुकसान पहुंचा। हमले के बाद प्रवीण को जब हॉस्पिटल में एडमिट किया गया, तो डॉक्टरों ने उनके जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थी। प्रवीण का कहना है कि उस समय डॉक्टरों ने भी मेरे जिंदा रहने की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन 5 महीने तक हॉस्पिटल में ही रहा और वहां से ठीक होकर ही बाहर आया। गोली लगने की वजह से प्रवीण के फेफड़ों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा और डॉक्टरों ने उन्हें ऊंची जगह या कम ऑक्सीजन वाले एरिया में जाने से मना किया था, लेकिन ये सब बातें असफल और आलसी लोगों के लिए रहती है। प्रवीण तो कुछ अलग ही करना चाहते थे और अपने आपको प्रूफ करना चाहते थे। वो नेवी को बताना चाहते थे कि इतना कुछ होने के बाद भी वो वैसे ही हैं, जैसे पहले थे। इसलिए प्रवीण ने इस खर्दुंग ला मैराथन में हिस्सा लिया और जीतकर मेडल भी हासिल किया। 

VRS के बाद ली मैराथन की ट्रेनिंग

VRS लेने के बाद प्रवीण ने मैराथन की ट्रेनिंग ली। जब उन्होंने नेवी को छोड़ दिया तो उनकी मुलाकात परवीन बाटलीवाला से हुई। परवीन भी एक मैराथन रनर रह चुके हैं। परवीन ने ही प्रवीण को मैराथन रनिंग की ट्रेनिंग दी। 2014 में प्रवीण ने ट्रेनिंग लेना शुरू की और 2015 में उन्होंने मुंबई हाफ मैराथन में हिस्सा लिया। इस मैराथन में प्रवीण ने दूसरे नाम से हिस्सा लिया क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि अगर वो इस मैराथन में फेल हो गए तो नेवी का क्या रिएक्शन होगा। इसके बाद 2016 में उन्होंने इंडियन नेवी हाफ मैराथन में भी हिस्सा लिया और इसी साल मार्च में उन्होंने जयपुर में हुई हाफ आयरन मैन ट्रायथलॉन में हिस्सा लिया। इस ट्रायथलॉन में 1.9 किमी की स्विमिंग, 90 किमी की साइलिंग और 21 किमी की दौड़ शामिल थी। इतना करने के बाद उन्होंने लद्दाख में हुई खर्दुंग ला मैराथन में हिस्सा लिया। इस मैराथन में रनर को 14 घंटे के अंदर 72 किमी की दौड़ करनी थी, लेकिन प्रवीण ने इस दौड़ को 12.5 घंटों में ही पूरा कर लिया। इस मैराथन को जीतने के बाद प्रवीण की नजर अब फुल आयरन मैन ट्रायथलॉन पर है और वो इसके लिए फंड तलाश रहे हैं।

Created On :   14 Sep 2017 3:58 AM GMT

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